नई दिल्ली। भारत एक बार फिर बिजली संकट गहराने लगा है। कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से आधे से ज्यादा प्लांटों में कोयले का स्टॉक खत्म होने की कगार पर है। अगर ऐसा हुआ तो देश के कई राज्यों में अंधेरा छा जाएगा। राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्सों में बिजली की कटौती शुरू हो गई है वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस मामले में पीएम मोदी को भी पत्र लिखा है। आइए जानते हैं देश में क्यों बढ़ रहा है कोयला संकट..
कोयले की मांग में बढ़ोतरी : देश ही नहीं बल्कि पुरी दुनिया में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। इस वर्ष के अगस्त-सितंबर माह में कोयले की खपत भी करीब 18 फीसदी तक बढ़ गई। दुनियाभर में कोयले की कीमतें 40 प्रतिशत वृद्धि हुई। इससे भारत का कोयला आयात गिरकर 2 साल के निम्नतम स्तर पर आ गया।
उत्पादन प्रभावित : दुनिया में कोयले का चौथा सबसे बड़ा भंडार भारत में है। देश के कई राज्यों में भारी बारिश की वजह से कोयला खदानों में पानी भर गया। इस वजह से कोयला खनन बुरी तरह प्रभावित हुआ और बिजली प्लांटों को समय पर कोयला नहीं भेजा जा सका।
भुगतान समय पर ना होना : पॉवर प्लांटों ने भी समय पर कोल इंडिया को पैसा नहीं दिया। अगस्त माह में कोयला, खनन और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा था कि 31 मार्च 2021 तक स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और सरकारी पावर जनरेशन कंपनियों पर कोल इंडिया का कुल मिलाकर 21,619.71 करोड़ रुपए का बकाया था। कोल इंडिया देश की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है। इस वजह से भी कोयले की सप्लाय प्रभावित हुई।
चीन में फंसा कोयला : भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक देश हैं। यहां इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से कोयला आयात किया जाता है। ऑस्ट्रेलिया से भारत का आ रहा 20 लाख टन कोयला चीन के बंदरगाह पर फंसा हुआ है।
विशेषज्ञ का मानना है कि भारत अल्पकालिक उपायों से किसी तरह मौजूदा संकट से तो निकल सकता है, लेकिन देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भारत को दीर्घकालिक विकल्पों में निवेश करने की दिशा में काम करना होगा।