कांग्रेस ने बिल्कीस बानो मामले को लेकर गुजरात और केंद्र सरकार को घेरा

Webdunia
बुधवार, 17 अगस्त 2022 (14:53 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने गुजरात के बिल्कीस बानो मामले में बलात्कार एवं हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के फैसले को लेकर बुधवार को सवाल खड़े करते हुए कहा कि मोदी और गृहमंत्री शाह को बताना चाहिए कि क्या राज्य सरकार ने यह कदम उठाने के लिए केंद्र से अनुमति ली थी, जो अनिवार्य होती है। इस मामले को लेकर राहुल गांधी ने भी सरकार को घेरा है तथा दोषियों को रिहा करने को लेकर सवाल उठाए हैं।
 
पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए यह दावा भी किया कि ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो।
 
उन्होंने कहा कि जिस नीति के पीछे छिपकर गुजरात सरकार कह रही है कि उसने इन 11 बलात्कारियों को रिहाई का आदेश दिया, 1992 की वह नीति 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा समाप्त कर दी गई थी। इसलिए ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो। इस प्रकरण की जांच भी सीबीआई ने की थी।
 
खेड़ा के अनुसार सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र से अनुमति लेनी होती है। मैं आपको याद दिला दूं, जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था तब उच्चतम न्यायालय ने क्या आदेश दिया था?
 
उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में हम केंद्रीय गृहमंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने बलात्कारियों को रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी?
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम गुजरात के मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) से यह भी जानना चाहेंगे कि जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं जिन्होंने सर्वप्रथम इन अभियुक्तों की रिहाई और क्षमा करने की अनुशंसा की? हम मुख्यमंत्री से भी पूछना चाहेंगे कि क्या उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में यह बात लाई गई कि 8 मई 2013 को 1992 की नीति को समाप्त कर दिया गया था?
 
खेड़ा ने कहा कि एक सवाल मीडिया, समाज और विपक्षी दलों से है कि जिस निर्भया के प्रकरण में पूरा समाज एक आवाज़ में मांग कर रहा था कि बलात्कारियों को कठोर सजा दी जाए, आज मीडिया और विपक्षी दलों में वह चुप्पी क्यों है? उन्होंने कहा कि संविधान पढ़ लीजिए, यह देश संविधान पर चलता है, सरकारें संविधान पर चलती हैं, सरकारें जाति और मजहब देखकर नहीं चलतीं।
 
बिल्कीस बानो मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी थी। मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था।(भाषा)
पार्टी के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कानूनी प्रावधानों का उल्लेख करते हुए यह दावा भी किया कि ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो।

उन्होंने कहा कि जिस नीति के पीछे छिपकर गुजरात सरकार कह रही है कि उसने इन 11 बलात्कारियों को रिहाई का आदेश दिया, 1992 की वह नीति 8 मई 2013 को गुजरात सरकार द्वारा समाप्त कर दी गई थी। इसलिए ऐसे किसी भी मामले में राज्य सरकार अभियुक्तों की रिहाई या क्षमा का निर्णय नहीं ले सकती जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसी ने की हो। इस प्रकरण की जांच भी सीबीआई ने की थी।
 
खेड़ा के अनुसार सीआरपीसी की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को केंद्र से अनुमति लेनी होती है। मैं आपको याद दिला दूं, जब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहते हुए जयललिता ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने का फैसला लिया था तब उच्चतम न्यायालय ने क्या आदेश दिया था?
 
उन्होंने सवाल किया कि ऐसे में हम केंद्रीय गृहमंत्री एवं प्रधानमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या गुजरात सरकार ने बलात्कारियों को रिहाई देते समय आपकी अनुमति ली थी? अगर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली थी तो क्या गुजरात सरकार के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी?
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम गुजरात के मुख्यमंत्री (भूपेंद्र पटेल) से यह भी जानना चाहेंगे कि जेल सलाहकार समिति में कौन-कौन लोग हैं जिन्होंने सर्वप्रथम इन अभियुक्तों की रिहाई और क्षमा करने की अनुशंसा की? हम मुख्यमंत्री से भी पूछना चाहेंगे कि क्या उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में यह बात लाई गई कि 8 मई 2013 को 1992 की नीति को समाप्त कर दिया गया था?
 
खेड़ा ने कहा कि एक सवाल मीडिया, समाज और विपक्षी दलों से है कि जिस निर्भया के प्रकरण में पूरा समाज एक आवाज़ में मांग कर रहा था कि बलात्कारियों को कठोर सजा दी जाए, आज मीडिया और विपक्षी दलों में वह चुप्पी क्यों है? उन्होंने कहा कि संविधान पढ़ लीजिए, यह देश संविधान पर चलता है, सरकारें संविधान पर चलती हैं, सरकारें जाति और मजहब देखकर नहीं चलतीं।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के बिलकिस बानो मामले में बलात्कार एवं हत्या के 11 दोषियों की रिहाई को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की कथनी और करनी में अंतर पूरा देश देख रहा है।
 
बिल्कीस बानो मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन लोगों की रिहाई की मंजूरी दी थी। मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में 21 जनवरी 2008 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था।(भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Exit Poll : वोटिंग खत्म होने के बाद RSS मुख्यालय पहुंचे देवेंद्र फडणवीस, मोहन भागवत से की मुलाकात

Exit Poll 2024 : झारखंड में खिलेगा कमल या फिर एक बार सोरेन सरकार

महाराष्ट्र में महायुति या एमवीए? Exit Poll के बाद बढ़ा असमंजस

महाराष्‍ट्र बिटकॉइन मामले में एक्शन में ईडी, गौरव मेहता के ठिकानों पर छापेमारी

BJP महासचिव विनोद तावड़े से पहले नोट फॉर वोट कांड में फंसे राजनेता

LIVE: अडाणी को बड़ा झटका, केन्या ने रद्द किया 700 मिलियन डॉलर का करार

Manipur Violence : मणिपुर के हालात को लेकर कांग्रेस ने किया यह दावा

Adani Group की कंपनियों को भारी नुकसान, Market Cap में आई 2.19 लाख करोड़ की गिरावट

Russia-Ukraine war : ICBM हमले पर चुप रहो, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही रूसी प्रवक्ता को आया पुतिन का फोन

Russia Ukraine War भयानक स्थिति में, ICBM से मचेगी तबाही, पुतिन के दांव से पस्त जेलेंस्की

अगला लेख