Delhi Riots : दिल्ली दंगे मामले में अदालत ने 2 आरोपियों को किया बरी

Webdunia
शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022 (22:27 IST)
नई दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों के 2 अलग-अलग मामलों के 2 आरोपियों को यहां की एक अदालत ने शुक्रवार को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन उनके खिलाफ मामला साबित नहीं कर पाया। दोनों ही मामलों में दोनों पर दंगा करने, डकैती करने और आगजनी करने का आरोप लगाया गया था।

पहला मामला सादतपुर गांव में कथित डकैती और एक सैलून में आग लगाने से संबंधित है जबकि दूसरा मामला 24 फरवरी 2020 को दयालपुर चौक के पास मुख्य बाजार में एक दुकान में कथित लूटपाट और आगजनी से जुड़ा है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा, मैं यह पाता हूं कि दोनों अभियुक्तों के विरुद्ध लगाए गए आरोप युक्तियुक्त संदेह से परे सिद्ध नहीं होते हैं। इसलिए आरोपी महेंद्र और धर्मेंद्र को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है। एक मामले में सबूतों में विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने दोनों आरोपियों की पहचान करने के जांच अधिकारी (आईओ) के दावे का खंडन किया था।

अदालत ने कहा कि ड्यूटी पर मौजूद एक कांस्टेबल का जिक्र किए जाने के बावजूद घटना का कोई वीडियो रिकॉर्ड पर नहीं लाया गया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह जाकिर मलिक ने अदालत के सामने दोनों आरोपियों की पहचान की थी और दावा किया कि भीड़ ने उनकी पिटाई की थी।

अदालत ने कहा, लेकिन ऐसा लगता है कि यह दावा बढ़ा-चढ़ाकर किया गया है, क्योंकि अगर ऐसा होता तो अभियोजन पक्ष के गवाह नौ (मलिक) ने अपनी पिटाई की बात और इस भीड़ में से कुछ लोगों को उनके नाम से पहचानने की बात का उल्लेख किया होता। उसने कहा कि मलिक ने आरोपी व्यक्तियों के नाम का उल्लेख किए बिना पुलिस के सामने अपना बयान दर्ज कराया था और उन्होंने शिकायतकर्ता की दुकानों पर हुई घटना के बारे में भी कुछ नहीं कहा।

अदालत ने कहा कि घटना के कई घंटे बाद मलिक ने पुलिस को फोन किया और आरोपियों का जिक्र तक नहीं किया। उसने कहा कि वह दहशत की वजह से बुनियादी आरोप का जिक्र तक करने में नाकाम रहा। दूसरे मामले में अदालत ने कहा कि दोनों आरोपियों की पहचान के संबंध में दो कांस्टेबल के साक्ष्य बहुत सामान्य प्रकृति के हैं।

अदालत ने कहा, अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या छह (कांस्टेबल संदीप) की जिरह से पता चलता है कि उन्होंने संभवत: आरोपियों द्वारा दुकानों को लूटने और उन्हें आग लगाने के कथित इकबालिया बयान के आधार पर कार्रवाई की। उसने कहा कि आरोपियों की शिनाख्त पुख्ता तौर पर नहीं की जा सकी। अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता के बेटे ने अदालत के सामने केवल महेंद्र की पहचान की थी, हालांकि उसने नाम धर्मेंद्र का लिया था।

न्यायाधीश ने कहा, मुझे लगता है कि रिकॉर्ड पर लाए गए सबूत पर्याप्त और विश्वसनीय नहीं हैं जो यह साबित करने के लिए नहीं पर्याप्त हैं कि दोनों आरोपी भी गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा थे, जिसने दुकानों में तोड़फोड़ की थी। उनके खिलाफ खजूरी खास थाने में मामला दर्ज किया गया था।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख