डल झील के जमने का लोगों को बेसब्री से इंतजार

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। विश्व प्रसिद्ध डल झील भयानक सर्दी के कारण जमने लगी है। ऐसे में लोग बेसब्री से इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि क्या इस बार भी डल पर कोई गाड़ी चलेगी या फिर क्या इस बार भी लोग क्रिकेट खेल सकेंगे।
जैसे-जैसे सर्दी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे विश्व प्रसिद्ध डल झील की ऊपरी सतह भी जमती जा रही है। इतना जरूर है कि कश्मीर आने वाले पर्यटकों के लिए यह नजारा बेहद ही दिलकश है जिन्होंने पहली बार इस झील को जमते हुए देखा है।
 
चिल्लेकलां के दौरान डल झील का जमना कोई नई बात नहीं है। पर यह अभी से जमनी आरंभ हो गई है, जबकि चिल्लेकलां अर्थात कश्मीर में भयानक सर्दी के प्रकोप का समय अभी शुरू नहीं हुआ है। वर्ष 1960 में गुलाम मुहम्मद बख्शी के मुख्यमंत्रित्वकाल में डल झील पूरी तरह जम गई थी। उस दौरान बख्शी ने डल पर जीप चलाने का मजा लिया था। उस समय न्यूनतम तापमान शून्य से 12 डिग्री नीचे तक गिर गया था।
 
इसके अलावा 1986 में डल झील पूरी तरह जम गई थी तब निवर्तमान मुख्‍यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने डल पर मोटरसाइकल चलाई थी। इसी साल स्थानीय युवकों ने जमी हुई डल झील पर एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया था। इस टेनिस बाल क्रिकेट टूर्नामेंट को लोगों ने सफलतापूर्वक समाप्त भी किया था। बुजुर्ग कहते हैं कि चिल्लेकलां के दिनों में अक्सर डल का पानी जम जाता है। इस साल के शुरू में भी यह डल झील पूरी तरह जम गई थी।
 
वर्ष 2005 के दिसंबर में भी चिल्लेकलां के दौरान डल का पानी जम गया था, जो कि करीब एक महीने तक जमा रहा था। मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर कुछ दिनों तक दिन में धूप खिलती रही तो रात का तापमान और भी गिर सकता है। इससे डल का पानी और भी जम जाएगा, क्योंकि दिन साफ रहने के कारण रात सर्द हो जाती है। दिन का तापमान अभी सामान्य से 4 डिग्री ऊपर है और रात का तापमान शून्य से 5 डिग्री नीचे।
 
यह भी सच है कि घाटी में कड़ाके की ठंड से जमी डल झील को देखने के लिए सैलानियों की भीड़ उमड़ रही है। शुक्रवार रात को झील के बीच में कई हिस्सों में भी बर्फ सी जम गई। इसके अलावा कश्मीर के अन्य इलाकों में ठंड का प्रकोप रहा। मौसम विभाग का कहना है कि अगले चौबीस घंटों में सर्दी बरकरार रहेगी और मौसम का मिजाज साफ रहेगा।
 
आज सुबह नौ बजे तक डल झील के कुछ हिस्सों में बर्फ की सफेद चादर जमी हुई दिखाई दी। जैसे-जैसे दिन चढ़ा और डल के ठहरे पानी में चप्पुओं की चाप और सूरज की गर्मी पड़ी तो जमी बर्फ बड़े-बड़े टुकड़ों में टूट गई, जो दिनभर पानी में तैरती रही। हालांकि साफ आकाश और धूप के कारण तापमान बढ़ा लेकिन सर्द हवाओं ने उसे बेअसर कर दिया। शिकारे वालों ने स्वयं अपने चप्पुओं से बर्फ को तोड़कर अपने शिकारों को आगे बढ़ाया।
 
घाटी के वाशिंदों के लिए डल का जमना और बर्फ जमना कोई नई बात नहीं है, लेकिन पर्यटकों के लिए यह नजारा जरूर कौतूहलभरा रहा। झील को देखने के लिए काफी संख्या में पर्यटकों का तांता लगा रहा। इसके चलते यहां उड़ीसा से गुलमर्ग और श्रीनगर शहर की छटा को देखने आए नागेश्वर राव और नीमला राव बताते हैं कि यह अनुभव उनके लिए इतना खुशनसीबीभरा रहा जिसकी कल्पना या फिर फोटो में देखकर ही वे करते थे। शिकारे वाले दिनभर पर्यटकों को उन स्थानों की सैर कराते रहे जहां सबसे अधिक बर्फ जमी हुई थी। आज एक इंच मोटी परत बढ़कर दो इंच से अधिक हो गई।
 
सुबह जब डल झील में रहने वाले लोग अपनी-अपनी नाव लेकर किनारे पर आए तो उन्हें डल में बर्फ जमी होने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। चप्पुओं से बर्फ को तोड़ते हुए उन्होंने अपनी नाव और शिकारे आगे बढ़ाए।
 
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