नई दिल्ली। नकली दवा निर्माताओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने (DCGI) 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। नकली दवाओं के निर्माण से जुड़ी देशभर की फार्मा कंपनियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई अभी भी जारी है। इसी क्रम में, हिमाचल प्रदेश में 70, उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों पर कार्रवाई की गई है।
खबरों के अनुसार, हाल ही में भारत स्थित कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। फरवरी में तमिलनाडु स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने अमेरिका में दृष्टि हानि से कथित रूप से जुड़े अपने सभी आई ड्रॉप को वापस ले लिया। इससे पहले पिछले साल गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत से कथित तौर पर भारत निर्मित कफ सिरप को जोड़ा गया था।
नकली दवा बनाने वाली कंपनियों पर सरकार की कार्रवाई के दौरान डीसीजीआई ने हिमाचल प्रदेश में 70 और उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें से ज्यादातर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की कंपनी थी।
डीसीजीआई ने नकली दवा बनाने वाली 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। डीसीजीआई ने 20 राज्यों की 76 कंपनियों काा निरीक्षण करने के बाद ये फैसला लिया है। नकली दवाओं के निर्माण से जुड़ी देशभर की फार्मा कंपनियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई अभी भी जारी है।
नकली दवा बनाने वाली कंपनियों पर सरकार की कार्रवाई के दौरान डीसीजीआई ने हिमाचल प्रदेश में 70 और उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। जिन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, उनमें से ज्यादातर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की कंपनी हैं।
हिमाचल प्रदेश की कंपनियों में श्री साई बालाजी फार्माटेक प्राइवेट लिमिटेड, ईजी फार्मास्युटिकल्स, एथेंस लाइफ साइंसेज, लेबोरेट फार्मास्युटिकल्स इंडिया लिमिटेड, जीएनबी मेडिकल लैब, ग्नोसिस फार्मास्युटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और फरीदाबाद की स्टर फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड शामिल हैं।