नई दिल्ली। रेडियो कॉलर लगाए जाने से देश में करीब 25 फीसदी एशियाटिक शेरों की मौत होने का दावा करते हुए राज्यसभा में गुरुवार को एक सदस्य ने मांग की कि उन पशुओं को बचाने के लिए उन्हें रेडियो कॉलर नहीं लगाया जाए। शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि एशियाटिक शेरों की मृत्युदर बढ़ने का मुख्य कारण रेडियो कॉलर है।
गोहिल ने कहा कि रेडियो कॉलर का वजन करीब ढाई किलोग्राम का होता है और शेर के शावकों को यह कॉलर लगाया जाता है जिससे साफतौर पर उनका विकास बाधित होता है। उन्होंने कहा कि 'एशियाटिक शेर यानी गिर के शेर हमारे लिए गौरव की बात हैं और वे दुर्लभ प्राणी हैं। इन्हें अवैज्ञानिक तरीके से रेडियो कॉलर लगाया गया। विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि प्रोटोकॉल तोड़कर उन्हें रेडियो कॉलर नहीं लगाया जाना चाहिए।
गोहिल ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार 6 फीसदी से अधिक शेरों को यह रेडियो कॉलर नहीं लगाया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 25 फीसदी एशियाटिक शेरों की मौत का कारण यही रेडियो कॉलर है। गोहिल ने एशियाटिक शेरों को रेडियो कॉलर नहीं लगाने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि एशियाटिक शेरों को अब तक अवैज्ञानिक तरीके से रेडियो कॉलर लगाने वालों पर कडी कार्रवाई की जाए। (भाषा)