माननीय ध्यान दें! मानसून सत्र में हंगामे की भेंट चढ़ गए जनता की गाढ़ी कमाई के 60 करोड़!

विकास सिंह
शुक्रवार, 30 जुलाई 2021 (16:30 IST)
कोरोनाकाल में हो रहे संसद के मानसून सत्र के 9वें दिन की कार्यवाही भी हंगामे की भेंट चढ़ गई। 19 जुलाई से शुरु हुए संसद का मानूसन सत्र 13 अगस्त का चलना है और इस दौरान सत्र की कुल 19 बैठकें प्रस्तावित है। ऐसे में अब जब लगभग आधा सत्र बीत चुका है तब लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का लगातार हंगामे की भेंट चढ़ने से देश की जनता को लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर से निराशा ही हाथ लग रही है। 

पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों लगातार स्थगित हो रहे है जिससे एक ओर सदन में जनहित से जुड़े मुद्दों पर बहस नहीं हो पा रही है वहीं दूसरा सदन का रूटीन कामकाज भी ठप्प सा पड़ गया है। सरकार की ओर से अब तक इस बात को साफ कर दिया गया है कि पेगासस जासूसी मामले को लेकर सदन में कोई बहस नहीं होगी वहीं विपक्ष सदन में इस मुद्दें को उठाने पर अड़ा हुआ है इसे लेकर लगातार टकराव के हालात बने हुए है। मानसून सत्र में सदन के अंदर पेपर फाड़ने और आंसदी की ओर उछालने की घटना कई बार देखी जा चुकी है।  
 
कोरोना के चलते संसद का बजट सत्र भी पूरा नहीं चल पाया था ऐसे में लंबे समय के बाद मानसून सत्र में विपक्ष के पास सरकार को घेरने का एक अच्छा मौका था। लगातार हंगामे के बाद अब एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या विपक्ष इस मौके को कहीं गवां तो नहीं रहा है। कोरोनाकाल में स्वस्थ्य व्यवस्थाओं के फेल होने और पेट्रोल-डीजल की कीमतों के साथ महंगाई के मुद्दें पर विपक्ष सरकार को संसद में चर्चा के माध्यम से घेर सकता है वह मौका अब कहीं न कहीं विपक्ष के हाथों से निकलता जा रहा है।

हंगामे की भेंट चढ़े 60 करोड़!- मानसून सत्र के ऐन पहले पेगासस जासूसी मामले का खुलासा होना और उस पर लगातार हंगामा होने से जनता की गाढ़ी कमाई भी एक तरह से बर्बाद हो रही है। 19 जुलाई से शुरु हुए मानसून सत्र के पहले दो हफ्ते हंगामे के भेंट चढ चुके है। अगर पिछले 9 दिनों की दोनों सदनों की कार्यवाही को देखे तो लोकसभा की कार्यवाही मुश्किल से 5 घंटे और राज्यसभा की कार्यवाही लगभग 10 घंटे ही चल पाई है और सरकार दो विधेयक ही पास करवा पाई है।

एक अनुमान के मुताबिक प्रति मिनट संसद की कार्यवाही पर 2.50 लाख रुपए और एक घंटे की कार्यवाही पर 1.5 करोड़ रुपए खर्च होते है। वहीं संसद सत्र के दौरान एक दिन का खर्चा 9 करोड़ रुपए के आसपास आता है। ऐसे में देखा जाए तो अब तक संसद की 9 दिन की कार्यवाही में जनता की गाड़ी कमाई के 60 करोड़ से अधिक रुपए बर्बाद हो चुके है। 

असल में लोकतंत्र में संसद वह मंच है जहां जनहित के मुद्दों को विपक्ष उठाकर और उस पर बहस कर सरकार का ध्यान उस मुद्दें की ओर आकृष्ट करता है और संसद में होने वाली बहस से सरकार पर एक दबाव भी बनता है। ऐसे में पेगासस जासूसी कांड पर विपक्ष का बहस के लिए अड़े होने से लोगों से जुड़े कोरोना और महंगाई जैसे मुद्दों की एक तरह से नाइंसाफी भी है। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

stampede : बेंगलुरु में भगदड़ की घटना में 11 की मौत, PM मोदी ने जताया दुख, खरगे बोले- हादसा दुर्भाग्यपूर्ण

क्या आपका 500 रुपए का नोट नकली तो नहीं? इस तरह पहचानें Fake currency

Stampede : चिन्नास्वामी स्टेडियम में अंदर RCB का जश्न, बाहर लोगों की भगदड़, फोटो खिंचवाने में लगे थे कांग्रेस नेता, BJP ने लगाया आरोप

यादव के बेटे तेज प्रताप के 'जयचंद' जिक्र का क्या है मतलब, जानें क्यों गद्दारों को कहा जाता है 'जयचंद'

राहुल गांधी का लंगड़े घोड़े वाला बयान कमलनाथ, दिग्विजय की सियासत से रिटायरमेंट का संकेत?

सभी देखें

नवीनतम

ओडिशा के अस्पताल में भारी लापरवाही, 6 मरीजों की मौत, सरकार ने दिए जांच के आदेश

बेंगलुरु हादसे पर विराट कोहली बोले- मैं टूट गया हूं, मेरे पास कहने को शब्द नहीं हैं...

Dollar Vs Rupee : डॉलर के मुकाबले रुपया टूटा, जानिए कितनी हुई गिरावट...

पंजाब में मादक पदार्थ के खिलाफ अभियान, अब तक 15500 तस्कर गिरफ्तार, 9087 FIR दर्ज

Bengaluru Stampede : 11 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन? CM सिद्धारमैया ने कहा- 35000 की क्षमता, इकट्ठा हो गए 2-3 लाख लोग, चश्मदीद ने बताया कैसे मची भगदड़

अगला लेख