अब भूकंप नहीं कर सकेगा ज्यादा नुकसान, भारत बना रहा है प्रणाली

Webdunia
बुधवार, 24 मई 2017 (15:10 IST)
नई दिल्ली। देश के विभिन्न इलाकों के भूकंप संवेदी होने की पृष्ठभूमि में भारत में एक ऐसी  चेतावनी प्रणाली विकसित करने पर काम किया जा रहा है जिससे इसका पूर्वानुमान लगाया  जा सके ताकि भूकंप के कारण होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
 
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हषर्वधन ने कहा कि दुनिया में अभी कहीं पर भी भूचाल, भूकंप का पूर्वानुमान करने की प्रणाली नहीं है। इस दिशा में कार्य चल रहे हैं और भारत में  भी प्रयास हो रहा है। मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में भी कुमाऊं में आईआईटी रूड़की और ताईवान मिलकर अध्ययन कर रहे हैं। भूकंप के पूर्वानुमान व्यक्त करने की प्रणाली विकसित करने पर कार्य चल रहा है। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के देशभर में 84 स्टेशन हैं और  150 वेधशालाएं हैं, पूर्वोत्तर में भी केंद्र हैं। सभी केंद्र इस विषय पर अध्ययन कर रहे हैं।
 
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक गत 30 वर्षों के भूकंप के डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भूकंप की दर में कोई वृद्धि अथवा कमी नहीं आई है। भूकंप का अध्ययन करना एक विस्तृत विषय है और इस बारे में कोई समिति गठिन नहीं की गई है हालांकि कई  संस्थान इस विषय पर अध्ययन कर रहे हैं।
 
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान  केंद्र के तहत राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान नेटवर्क का उन्नयन किया जा रहा है। इसके तहत 84 डिजिटल केंद्रों को इस प्रकार से समक्ष बनाया गया है कि देश में कहीं भी 3 से अधिक तीव्रता के भूकंप का 5 मिनट के भीतर पता लगाया जा सके।
 
उन्होंने कहा कि हम इसमें और सुधार कर रहे हैं और जल्द ही 3 मिनट के भीतर भूकंप की  जानकारी एकत्र की जा सकेगी। अभी इन केंद्रों के उन्नयन के दूसरे चरण का काम चल रहा है। इसके तहत 32 नए स्टेशन स्थापित किए जाएंगे और 6 वर्तमान स्टेशनों का उन्नयन  किया जाएगा।
 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने बताया कि इस वर्ष 2017 अंत तक देश में  नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के 116 स्टेशन हो जाएंगे, जो राष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा होगा। उन्होंने कहा कि इन स्टेशनों और वेधशालाओं को परिचालन केंद्र के जरिए वीसैट  संचार प्रणाली से जोड़ा जाएगा। 
 
उल्लेखनीय है कि भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है। इस खतरे के हिसाब से देश को 4 हिस्सों में बांटा गया है। सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे  वाला जोन-5 है। नॉर्थ-ईस्ट के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में आते हैं।
 
उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तरप्रदेश के ज्यादातर हिस्से, दिल्ली जोन-4  में आते हैं। मध्यभारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण  के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।
 
अभी तक वैज्ञानिक पृथ्वी के अंदर होने वाली भूकंपीय हलचलों का पूर्वानुमान लगाने में  असमर्थ रहे हैं इसलिए भूकंप की भविष्यवाणी करना फिलहाल संभव नहीं है। वैसे विश्व में  इस विषय पर सैकड़ों शोध चल रहे हैं।
 
भारत में ज्यादातर भूकंप टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली हलचलों के कारण आते हैं, क्योंकि  भारत इसी के ऊपर स्थित है इसलिए खतरा और बढ़ जाता है। टैक्टोनिक प्लेट में होने वाली  हलचलों के बारे में शोध चल रहे हैं ताकि इसका पहले ही अंदाजा लगाया जा सके। (भाषा)
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