भारत में इबोला का खौफ, ऐसे बचें...

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इस समय पूरी दुनिया खतरनाक और जानलेवा बीमारी इबोला के खौफ से डरी हुई है। भारत में भी इबोला ने दस्तक दे दी है। भारत में इबोला का पहला मामला तब सामने आया जब इबोला से संक्रमित युवक 10 नवंबर को ही लाइबेरिया से लौटा। अफ्रीका के तीन देशों- सियरा लियोन, गिनी और लाइबेरिया में इसका व्यापक प्रकोप है। यह संक्रामक और लाइलाज बीमारी है, इसलिए इसके कुछ मरीज पश्चिमी देशों में भी सामने आए हैं।
क्या है इबोला : इबोला एक विषाणु है और इससे फैलने वाली बीमारी का नाम भी इबोला है। इस बीमारी में शरीर में नसों से खून बाहर आना शुरू हो जाता है, जिससे शरीर के अंदर रक्तस्राव शुरू हो जाता है और इससे 90% रोगियों की मृत्यु हो जाती है। इबोला वायरस 2 से 21 दिन में शरीर में पूरी तरह फैल जाता है।
 
इस रोग की पहचान सर्वप्रथम सन् 1976 में इबोला नदी के पास स्थित एक गांव में की गई थी। इसी कारण इसका नाम इबोला पड़ा। वर्तमान में यह स्थान डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, फ्रूट बैट यानी चमगादड़ इबोला वायरस का प्राथमिक स्रोत है। माइक्रोस्कोप से देखने पर यह वायरस धागे जैसा नजर आता है। इसकी पांच किस्में होती हैं जिनमें से दो ही ऐसी हैं जो इंसानों पर हमला करती हैं और यह हमला जानलेवा साबित होता है। 
 
बीमारी के लक्षण : इबोला के संक्रमण से मरीज के जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। त्वचा पीली पड़ जाती है। बाल झड़ने लगते हैं। तेज रोशनी से आंखों पर असर पड़ता है। पीड़ित मरीज बहुत अधिक रोशनी बर्दाश्त नहीं कर पाता। आंखों से जरूरत से ज्यादा पानी आने लगता है। तेज बुखार आता है। साथ ही कॉलेरा, डायरिया और टायफॉयड जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षण प्रकट होने में तीन सप्ताह तक का समय लग जाता है। इस रोग में रोगी की त्वचा गलने लगती है। यहां तक कि हाथ-पैर से लेकर पूरा शरीर गल जाता है। ऐसे रोगी से दूर रह कर ही इस रोग से बचा जा सकता है। 
 
वैसे इबोला वायरस पर नियंत्रण करना अपेक्षाकृत आसान है। इबोला वायरस पानी या हवा के जरिए नहीं फैलता और इसके फैलने का एकमात्र जरिया किसी संक्रमित जीव या व्यक्ति से सीधा संपर्क है। इबोला वायरस चमगादड़ों और सूअरों के जरिए फैल सकता है और जब कोई इंसान इसका शिकार हो जाता है, तो फिर उससे सीधे संपर्क में आने वाले किसी भी दूसरे इंसान को यह जकड़ सकता है। 
 
लेकिन, फिलहाल एक बड़ी चुनौती यह है कि इन मरीजों से स्थानीय लोगों में यह संक्रमण न फैल जाए। यह खतरा अब इन तीन देशों तक ही सीमित नहीं है, पूरी दुनिया के लिए है। भारत समेत कई देशों ने हवाई अड्डों पर प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों के लिए इबोला की जांच अनिवार्य कर दी है। इबोला का इतना डर इसलिए है क्योंकि इससे होने वाली बीमारी का इलाज अभी तक लगभग असंभव है। इसके अलावा अफ्रीकी देशों में इलाज की सुविधाएं जितनी और जैसी हैं, उसमें मरीज के बचने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

कैसे बचें इबोला से : इबोला वायरस के खिलाफ वैज्ञानिक अब तक कोई टीका नहीं बना पाए हैं और ना ही कोई इसे खत्म करने के लिए बाजार में कोई दवा उपलब्ध है। इसकी रोकथाम का केवल एक ही तरीका है, जागरूकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोशिश है कि लोगों को समझाया जा सके कि इबोला के मामलों को दर्ज कराना कितना जरूरी है। इबोला से बचने के लिए निम्न सतर्कता भी अपनाई जा सकती है...
 
हाथों को रखें स्वच्छ : अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से साफ रखें। हाथों को सुखाने के लिए स्वच्छ तौलिए का इस्तेमाल करें। वायरस को मारने का यह सबसे प्रभावी तरीका है। हाथ धोने के लिए अच्छी कंपनी का हैंडवॉश इस्तेमाल करें। 
 
हाथ ना मिलाएं : हाथ मिलाने से यथासंभव बचें क्योंकि यह वायरस शरीर के सीधे संपर्क से तेजी से फैलता है। 
 
स्पर्श से बचें : अगर आपको किसी व्यक्ति पर इबोला से संक्रमित होने का संदेह है तो उन्हें स्पर्श न करें। यह वायरस पेशाब, मल, रक्त, उल्टी, पसीना, आंसू, शुक्राणु और योनि से होने वाले स्राव के संपर्क से फैलता है। अगर आपको लगता है कि किसी व्यक्ति की मौत इबोला वायरस की वजह से हुई है, तो उसके शरीर को छूने से बचें। किसी बीमार व्यक्ति की तुलना में मृत व्यक्ति से वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक होता है। 
 
मांसाहार से बचें : बंदर, चिंपैंजी, चमगादड़ का मांस नहीं खाएं क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि मनुष्यों में इसका संक्रमण इन्हीं जानवरों के संपर्क में आने से हुआ। शिकार करने और जानवरों को छूने से बचें। यह सावधानी जरूर रखें कि मांस को ठीक से पकाया गया है। 
 
डॉक्टर के पास जाने में हिचके नहीं : डॉक्टर से डरें नहीं, वे आपकी मदद करने के लिए हैं। अस्पताल किसी भी मरीज के लिए सबसे सही जगह है। यहां मरीज को पानी की कमी से बचाया जा सकता है और दर्द निवारक दवा भी दी जा सकती हैं।
 
भारत में इबोला : इबोला वायरस का खतरा भारत पर भी है। समझा जाता है कि करीब 44 हज़ार 700 भारतीय भी इसकी जद में हैं और ये उन मुल्कों में हैं जहां इबोला का खतरा है। इबोला से होने वाली बीमारी पश्चिमी अफ्रीका के चार देशों में फैली है और अब तक इससे करीब कई हजार जानें जा चुकी हैं। हाल ही में, नई दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्‍डे पर एक युवक को क्वारंटाइन में रखा गया है क्योंकि लाइबेरिया में उसका इबोला का इलाज हो चुका है और इलाज कराने के बाद ही वह भारत में आया है। 
 
भारत में इबोला के खतरा का सामने करने के लिए इलाज से ज्यादा रोकथाम को प्राथमिकता दी जाए क्योंकि इसके इलाज की सुविधा कुछ महानगरों को छोडकर कहीं नहीं है। ऐसे में अगर भारत के दूरस्थ और ग्रामीण, उपनगरीय और कस्बाई इलाकों में इसका प्रसार होता है तो चिकित्सा सुविधाओं की कमी से यह महामारी का रूप ले सकता है। साथ ही, विदित हो कि अभी तक इसका कोई टीका भी नहीं आया है और इसके वर्ष 2015 में आने की संभावना है। इसलिए जब तक इसका इलाज और टीका विकसित नहीं हो जाता है तब तक इसकी रोकथाम ही सर्वश्रेष्ठ उपाय है।   

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