Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

यूपी में भी गहराया कोयले का संकट, बिजली उत्पादन घटा, सीएम योगी की पीएम मोदी को चिट्ठी

हमें फॉलो करें यूपी में भी गहराया कोयले का संकट, बिजली उत्पादन घटा, सीएम योगी की पीएम मोदी को चिट्ठी
, रविवार, 10 अक्टूबर 2021 (14:28 IST)
लखनऊ। देश के विभिन्न राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी बिजली उत्पादन के लिए कोयले का संकट गहराता जा रहा है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राज्य में कोयले की आपूर्ति सामान्य कराने और प्रदेश को अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने रविवार को बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकारी स्वामित्व वाली विद्युत इकाइयों में कोयले की जबर्दस्त किल्लत के कारण बिजली उत्पादन बहुत कम हो गया है जिसके कारण गांवों तथा कस्बों में बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है। ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इन इलाकों में साढ़े तीन से सवा छह घंटे तक की बिजली कटौती की जा रही है।
 
webdunia
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया द्वारा किए जाने वाले कोयले के उत्पादन में काफी गिरावट आई है, क्योंकि ईस्टर्न कोलफील्ड और सेंट्रल कोलफील्ड में सितंबर के अंत में बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण कोयला खदानों में पानी भर गया है। मौजूदा हालत यह है कि प्रतिदिन 25 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता की तुलना में मात्र 16 लाख 50 हजार मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति हो रही है।
 
दुबे ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सरकार के स्वामित्व वाले चार बड़े पन-बिजली संयंत्रों में से पारीछा और हरदुआगंज में केवल आधे दिन का कोयला बाकी रह गया है। ओबरा और अनपरा में भी मात्र दो दिन का कोयला ही बाकी रह गया है। नियम यह है कि कोयला खदान के मुहाने पर स्थित बिजली संयंत्रों में कम से कम सात दिन का तथा दूर स्थित संयंत्रों में कम से कम 15 दिन का कोयले का भंडार रहना चाहिए।
 
दुबे ने बताया कि एनटीपीसी के विभिन्न बिजली संयंत्रों में भी कोयले की जबर्दस्त किल्लत उत्पन्न हो गई है। देश में कुल 135 पन बिजली संयंत्र है जिनमें से लगभग आधे में कोयला खत्म हो चुका है। उत्पादन निगम के ताजा आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की हरदुआगंज इकाई में बिजली उत्पादन 610 के बजाय महज 230 मेगावाट जबकि पारीछा में 920 मेगावाट क्षमता के बजाय मात्र 320 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।
 
दुबे ने बताया कि लैंको और रोजा समेत सभी निजी बिजली उत्पादन इकाइयों में भी शून्य से अधिकतम तीन दिन तक का ही कोयला उपलब्ध है।
 
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में हालात और भी गंभीर इसलिए हो गए हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश पर कोल इंडिया का करीब 1500 करोड़ रुपए का बकाया है लिहाजा उसने उत्तर प्रदेश को वरीयता सूची में तीसरे नंबर पर डाल दिया है। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

World Mental Health Day: क्‍या है मानसिक स्वास्थ्य दिवस, इस बार क्‍या है थीम, क्‍यों कोरोना की वजह से अहम हो गया यह दिवस