9 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कम हो सकते है पेट्रोल-डीजल के दाम
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने तेल कंपनियों से दाम करने की अपील
फरवरी 2022 की तुलना में कच्चे तेल के दाम में 40% की कमी
9 महीने से स्थिर है पेट्रोल-डीजल के दाम
मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर सरकार काम कर सकती है वैट
चुनावी साल में महंगाई से जूझ रही जनता को अब जल्द ही एक राहत मिल सकती है। आने वाले दिनों में तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी करने का फैसला ले सकती है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तेल कंपनियों से पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने की अपील की है। हरदीप पुरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि उम्मीद है कि नुकसान की भरपाई हो जाने पर कीमतें कम हो जानी चाहिए। वहीं हरदीप पुरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 और मई 2022 को एक्साइज ड्यूटी घटा दी थी लेकिन राज्य सरकारों ने वैट कम नहीं किया।
9 महीने से पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर- गौरतलब है कि अंतराराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दामों में कमी के बाद भी सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों तेल कंपनियों आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में कमी नहीं की है। तेल कंपनियों ने पिछले नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई कटौती नहीं की है।
अगर देखा जाए तो तेल कंपनियों ने पिछले 10 महीनों से पेट्रोल और डीजल के दामों में कोई कमी नहीं की है। इंडियन ऑइल कॉरपोरेशन,भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने पिछले साल 6 अप्रैल 2022 को अंतिम बार पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें कम की थीं। वहीं मई 2022 में केंद्र सरकार की ओर एक्साइज और कुछ राज्य सरकारों की तरफ से वैट घटाने से पेट्रोल-डीजल के दाम कम हुए थे। इसके बाद लंबे समय से पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी करने की लंबे समय से मांग हो रही है।
फरवरी 2022 की तुलना में 40% कम कच्चे तेल के दाम- गौर करने वाली बात यह है कि इंडियन क्रूड ऑयल बास्केट में भारी गिरावट के बावजूद कंपनियां दाम नहीं घटा रही हैं। पिछल साल फरवरी में कच्चे तेल के दाम 139 डॉलर के उपर चला गया था और वर्तमान में ब्रेंट क्रूड का दाम 85 डॉलर के आसपास हैं,इस तरह से इसमें करीब 40% की गिरावट आ चुकी है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम पिछले 8 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। क्रूड ऑयल के दामों में कीमतों में भारी गिरावट के बाद अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होंगे।
पेट्रोल-डीजल के दाम कितने कम होंगे?-पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी के तेल कंपनियों से दाम कमी करने की अपील के बाद अब तेल कंपनियों पर सबकी निगाहें टिक गई है। वेबदुनिया से बातचीत में मध्यप्रदेश पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह कहते हैं कि पेट्रोलियम मंत्री के बयान के बाद अब तेल के दाम कम करने की जिम्मेदारी तेल कंपनियों पर आ गई है। हलांकि वह कहते हैं कि पेट्रोल-डीजल के दामों में तेल कंपनियां कोई बहुत बड़ी राहत देने की स्थिति में नहीं है। आने वाले दिनों में तेल कंपनियों से 1.50 से 2.00 रूपए तक पेट्रोल और डीजल के दाम कम कर सकती है।
चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में लोगों को मिलेगी बड़ी राहत?-पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने राज्य सरकारों के वैट कम नहीं करने को लेकर निशाना साधा है। राजस्थान और मध्यप्रदेश ऐसे राज्य है जहां प्रदेश सरकार पेट्रोल-डीजल पर सबसे अधिक वैट वसूल रही है। मध्यप्रदेश पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट को कम करने की गुंजाइश और सरकार वैट कम कर सकती है।
वह कहते हैं मध्यप्रदेश के आने वाले बजट में एसोसिएशन सरकार से पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट में 5 फीसदी कमी करने को लेकर एक पत्र सौंपेगी। अगर सरकार पेट्रोल-डीजल पर 5 फीसदी वैट करती है तो पेट्रोल और डीजल से 3 से 3.50 रुपए तक कमी हो जाएगी।
चुनाव और पेट्रोल-डीजल की कीमत का कनेक्शन-अगर चुनाव और पेट्रोल-डीजल के कीमतों के कनेक्शन की बात करें तो एक अजीब संयोग नजर आता है। चुनाव से पहले पेट्रोल-डीलज के दाम कम होना और चुनाव के बाद दाम बढ़ना एक आम बात हो गई है।
उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले पिछले साल मई में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी कम करने के साथ राज्य सरकारों के साथ वैट घटाने का अनुरोध किया था जिसके बाद भाजपा शासित राज्यों ने पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाय़ा था जिससे पेट्रोल की कीमतों में कमी आई थी।
नवंबर 2021 में जब हिमाचल के उपचुनावों कांग्रेस की जीत हुई और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा तो 2 नवंबर को आए नतीजों के अगले दिन ही 3 नंवबर को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती का बड़ा एलान हुआ है और दाम डीजल 5 रुपए और पेट्रोल 10 रुपए एक झटके में सस्ता हो गया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि उपचुनाव में हार के लिए महंगाई के साथ भाजपा नेताओं ने खुद पेट्रोल और डीजल के रिकॉर्ड दाम को चुनाव में हार का बड़ा कारण बताया था। हलांकि हाल में ही हिमाचल विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और इसके लिए महंगाई को एक बड़ा कारण माना गया।
वहीं 2021 में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगल और केरल में विधानसभा चुनाव हुए तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक लग गया था। वहीं चुनाव नतीजों के बाद दाम बढ़ने लगे थे। वहीं वर्ष 2020 में बिहार चुनाव में करीब तीन माह तक दाम स्थिर रहे थे।