पांच हत्याकांड, जिन्होंने देश को झकझोरा...

Webdunia
शुक्रवार, 28 अगस्त 2015 (15:51 IST)
इन दिनों शीना बोरा मर्डर केस और इन्द्राणी मुखर्जी मामला सुर्खियों में छाया हुआ है। यूं तो भारत में हत्याओं के कई केस हुए हैं, लेकिन इन दिनों ये हाईप्रोफाइल केस सुर्खियों में बना हुआ है। शीना बोरा हत्याकांड जितना सुलझ रहा है, उतना ही उलझता भी जा रहा है।

परत दर परत इसमें रोज नए मोड़ आ रहे हैं। आज ये हत्याकांड चर्चित हो चुका है। आरुषि तलवार हत्याकांड भी ऐसी ही रहस्यमी हत्याकांड जिसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझ पाई है। जानते हैं देश के पांच हत्याकांड जिनकी  मर्डर मिस्ट्री आज तक सुलझ नहीं पाई है। जा‍नते हैं वे हत्याकांड- 
नीरज ग्रोवर मर्डर मिस्ट्री : बालाजी टेलीफिल्म्स के क्रिएटिव डायरेक्टर नीरज ग्रोवर मर्डर मिस्ट्री भी सबसे चर्चित हत्याकांड है। कोर्ट ने हत्या के इस मामले में कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसायराज के ब्वायफ्रेंड जैरोम मैथ्यू को दोषी करार दिया है जबकि मारिया को हत्या के बाद सबूतों के साथ छेडख़ानी करने और सबूत नष्ट करने का आरोपी करार दिया है।
 
पुलिस के अनुसार मुंबई में हीरोइन बनने आई कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसायराज की बालाजी टेलीफिल्मस के क्रिएटिव डायरेक्टर नीरज ग्रोवर से दोस्ती थी। दोनों की नजदीकियों की खबर मारिया के पुराने साथी जेरोम मैथ्यू को पता चली। 6 मई 2008 को कोच्चि में रह रहा मैथ्यू अचानक मुंबई आ धमका। 
 
7 मई की सुबह जैसे ही मैथ्यू मारिया के घर पहुंचा नीरज को उसके बैडरूम में देखकर गुस्से से पागल हो गया। दोनो में जबरदस्त झगड़ा शुरू हो गया। उसी दौरान मैथ्यू ने नीरज पर चाकू से हमला कर दिया। नीरज की वहीं मौत हो गई। इसके बाद मैथ्यू और मारिया ने मिलकर नीरज की लाश के 300 टुकड़े किए। उन्हें बैग में पैक कर उसे शहर से दूर ले जाकर जला दिया। नीरज की हत्या के बाद खुद मारिया ने मालाड पुलिस थाने में जाकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
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तंदूर हत्याकांड : 2 जुलाई 1995 की रात दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल अब्दुल नजीर काजू और होम गार्ड चन्द्रपाल ने बगिया रेस्टोरेंट में से धुआं निकलते देखा था। इस धुएं के बाद पता चला कि यह इसमें किसी का बड़ी बेहरहमी से कत्ल किया गया था। 
जांच करने के ‍बाद वह 29 साल की नैना साहनी का शव निकला, जिसे उसके पति दिल्ली यूथ कांग्रेस के नेता सुशील शर्मा ने बड़े घृणित तरीके से मार डाला था। हत्या के बाद उसके शव को ठिकाने लगाया था, वह दृश्य आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है।

उसने पत्नी की हत्या इसलिए कर थी कि उसे शंका थी कि उसका शादी के बाद भी उसका अफेयर कांग्रेस कार्यकर्ता और उसके सहपाठी के साथ चल रहा था। सुशील ने नैना का कत्ल करने के बाद उसके टुकड़े कर तंदूर में जला दिए थे। दिल्ली में यह तंदूर हत्याकांड के रूप में चर्चित हुआ था। सुशील शर्मा को फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा आजीवन कारावास में बदल दिया। 
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केएम नानावती केस  : केएम नानावती केस भारत के हाईप्रोफाइल मामलों में से एक है। बात 1959 की है जब भारतीय नेवी कमांडर केएम नानावती ने अपनी पत्नी सैल्विया के प्रेमी पर गोली चला दी थी।  
इस मर्डर के बारे में दो बातें निकलकर सामने आई थीं कि या तो नानावती ने अपने पत्नी के प्रेमी पर आवेश में आकर गोली चला दी या यह उसकी जानी-समझी साजिश का नतीजा था। जैसा कि मामला हाईप्रोफाइल था कुछ ही दिनों में यह पूरे देश में छा गया। 
 
मीडिया ने इस केस को खूब तरजीह दी। बाद के सालों में इस केस से प्रेरणा लेती हुई कई किताबें लिखी गईं और फिल्में भी बनाई गईं। बाद में इस मामले की सुनवाई जूरी ट्रायल में की गई और इसके बाद सरकार ने जूरी ट्रायल को समाप्त कर दिया।          
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सैयद मोदी केस  : लखनऊ में एक बैडमिंटन चैंपियन सैयद मोदी की दिनदहाड़े केडी सिंह बाबूराम स्टेडियम के बार गोली मारकर हत्या कर दी गई। जब वे स्टेडियम से बाहर ही निकल रहे थे तभी कुछ लोगों ने उन पर गोलियां बरसा दीं। यह बाद 28 जुलाई 1988 की है। इसके बाद पूरे देश में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला और लोगों ने इस हत्या के राजनीतिक कनेक्शन होने की भी बात कही। 
इसके बाद उस समय यूपी में सत्ता पर बैठी कांग्रेस सरकार ने इस मामले की तहकीकात के आदेश दे दिए, इसके बाद 7 लोगों को शक की बिनाह पर गिरफ्तार किया गया। इन 7 लोगों में अमेठी के कांग्रेस नेता संजय सिंह, उनके साथी अखिलेश सिंह और सैयद मोदी की पत्नी अमिता भी शामिल थीं। पूरे 21 साल के बाद आरोपी भगवती सिंह उर्फ पप्पू को अदालत ने आरोपी करार दिया और भगवती सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।        
 
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गीता एवं संजय चोपड़ा अपहरण मामला : 1978 में दो भाई बहनों गीता चोपड़ा व संजय चोपड़ा को अपराधियों ने अपहरित कर लिया और बेरहमी से कत्ल कर दिया। इन दोनों भाई-बहन की उम्र 15 से 19 साल के बीच थी और वे एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी के बच्चे थे। 
इन दोनों को कुख्यात बदमाश रंगा-बिल्ला ने एक शादी वाली फियाट कार में अपहरित कर लिया था। इन दोनों जान से मारने से पहले दोनों बदमाशों ने खूब तड़पाया था। जब यह बात बाहर आई तो मीडिया ने इस केस को वृहद रूप से कवर किया और पूरे चार साल के बाद रंगा बिल्ला को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस केस के पीड़ित गीता व संजय चोपड़ा को उनके नाम से वीरता पुरस्कार दिया गया।
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