Flow: एक शानदार एनिमेटेड फिल्‍म जिसने पालतू जानवरों को भी बना दिया अपना दीवाना

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 15 मार्च 2025 (15:06 IST)
इन दिनों फ्लो नाम की एक फिल्‍म की बेहद चर्चा है। यह एक शानदार एनिमेटेड फिल्‍म है। यह फिल्‍म जानवरों पर बनी है और दिलचस्‍प है कि इंसानों के साथ ही जानवरों को भी बेहद पसंद आ रही है। दरअसल, यह फिल्‍म इंसान और जानवरों के बीच एक पुल की तरह काम कर रही है।

इस फिल्‍म का कमाल यह हो रहा है कि एक बिल्‍ली पर बनी यह फिल्‍म घरों में रहने वाले पालतू कुत्‍ते और बिल्‍लियां को भी बहुत भा रही है। यह फिल्‍म 90 मिनट से भी कम समय की है। जिसमें एक भी डायलॉग नहीं बोला गया है। लेकिन बावजूद इसके इसमें बहुत कुछ व्यक्त किया गया है। सिर्फ प्राकृतिक आवाजों से।

बिल्‍ली है फ्लो की मुख्‍य किरदार : इस लातवियाई एनिमेटेड फ़िल्म को गिन्ट्स ज़िल्बालोडिस ने बताया है। न कोई डायलॉग है और न ही कोई बातचीत। सिर्फ एक काली बिल्‍ली इस फिल्‍म की मुख्‍य किरदार है और फ्लो फिल्‍म ने ऑस्‍कर जीत लिया है। फिल्‍म की कहानी भी इसी बिल्ली के इर्दगिर्द है, जो भयानक बाढ़ के दौरान अपनी जान बचाने के लिए एक नाव में चढ़ जाती है, जहां उसे कई अजीबो-गरीब जानवर मिलते हैं। सब मिलकर अपनी जान बचाते हैं।

जानवरों को भा रही फ्लो : तमाम सोशल मीडिया में फिल्‍म के वीडियो वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो को कुत्‍ते बिल्‍ली भी देख रहे हैं। कुत्ते-बिल्लियों के फ़िल्म देखने के वीडियों सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं, जहां वे स्क्रीन से चिपके नज़र आते हैं। निर्माता मातिस कज़ा के मुताबिक फिल्‍म में इस्‍तेमाल की गई असली जानवरों की आवाज़ें इस फिल्‍म की खासियत है। फ़िल्म में पानी की आवाज़ें और प्राकृतिक ध्वनियों ने पालतू जानवरों को मंत्रमुग्‍ध कर दिया है।

इंसान और जानवरों के बीच पुल है फिल्‍म : रिपोर्ट के मुताबिक कई पालतु जानवरों के मालिकों ने बताया कि उनके जानवरों ने पहली बार टीवी में दिलचस्पी दिखाई है। हालांकि यह साफतौर से नहीं कहा जा सकता कि पालतू कहानी समझते हैं या सिर्फ़ आवाज़ों से आकर्षित होते हैं, पर यह फ़िल्म मनुष्य और जानवरों के बीच साझा अनुभव का पुल बन गई है। सेलीन ओरोस्को के गोल्डन रिट्रीवर "सैमसन" ने फ़िल्म के लैब्राडोर किरदार को देखकर ख़ुशी जताई।

ऑस्‍कर जीता फ्लो ने : अपनी शानदार एनिमेटेड प्रजेंटेशन और ध्‍वनियों की वजह से ‘फ़्लो’ ने न सिर्फ़ ऑस्कर जीता, बल्कि यह पालतू मालिकों को अपने जानवरों की संवेदनशीलता समझने का मौका दे रही है। हो सकता है, यह फ़िल्म हमें याद दिलाए कि सहानुभूति और साझा अनुभवों की भाषा सभी प्राणियों में समान है।
Edited By: Navin Rangiyal

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