सुजाता सिंह की जगह जयशंकर होंगे नए विदेश सचिव

Webdunia
बुधवार, 28 जनवरी 2015 (23:14 IST)
नई दिल्ली। अमेरिका में भारत के राजदूत डॉ. सुब्रह्मण्यम को आज रात सुजाता सिंह के स्थान पर नया विदेश सचिव नियुक्त कर दिया गया। सुजाता सिंह के कार्यकाल में करीब आठ माह का समय बचा था लेकिन उसमें अचानक से कटौती कर दी गई। इसी बीच खबर मिली है कि नई नियुक्ति से नाराज सुजाता सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे ‍दिया है। सुजाता ने इस्तीफे की आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। 

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की नियुक्ति संबंधी समिति की बैठक में अचानक से यह घोषणा की गई। सुजाता सिंह का दो वर्ष का कार्यकाल इस वर्ष अगस्त में समाप्त होना था। 

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मंगलवार के दिन ही भारत से वापस रवाना हुए हैं और उनके जाते ही प्रशासनिक स्तर पर इतना बड़ा उलटफेर किया जाना कई बातों को जन्म दे रहा है।
 
सनद रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सुब्रह्मण्यम जयशंकर को वॉशिंगटन में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया था। जयशंकर के पहले वॉशिंगटन में पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव राजदूत का दायित्व संभाल रही थीं। डॉ. जयशंकर 1977 बैच के विदेश सेवा अधिकारी हैं।

देर रात की गई आधिकारिक घोषणा के अनुसार, ‘भारतीय विदेश सेवा की 1976 बैच की अधिकारी सुजाता सिंह के बतौर विदेश सचिव कार्यकाल में तुरंत प्रभाव से कटौती की गई है।’

घोषणा में कहा गया है, ‘1977 बैच के आईएफएस डॉ. जयशंकर की नियुक्ति एफआर 56 (डी) के प्रावधानों के अनुसार, सुजाता सिंह के स्थान पर, पदभार ग्रहण करने की तारीख से दो साल के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले होगा उसके लिए प्रभावी होगी।’ 
 
भारत के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषकों में से एक स्वर्गीय के सुब्रमण्यम के पुत्र 60 वर्षीय जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु करार को अंजाम तक पहुंचाने वाली भारतीय टीम के महत्वपूर्ण सदस्य थे। लगता है इसी का उन्हें पुरस्कार मिला है।  
 
इससे पहले, एक अन्य विदेश सचिव एपी वेंकटरमन को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अचानक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा कर पद से हटा दिया था। इस घोषणा से बड़ा विवाद पैदा हो गया था और विदेश सेवा द्वारा इस कदम का कड़ा विरोध किया गया था।
 
9 जनवरी 1955 में जन्में डॉ. जयशंकर 2001 से 2004 तक चेक गणराज्य में भारत के राजदूत रहे। इसके बाद वे 2007 से 2009 तक सिंगापुर में उच्चायुक्त रहे जबकि 2009 से 2013 तक उन्होंने चीन में भारत के राजदूत की भूमिका निभाई।  (वेबदुनिया/भाषा)
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