गाजियाबाद। रविवार को अंत्येष्टि स्थल पर एक बुजुर्ग को अंतिम नमन करने वाले 25 व्यक्तियों को यह आभास भी नहीं कि होगा की ये अंत्येष्टि स्थल उनकी कब्र बन जाएगा। उखलारसी श्मशान घाट पर बनी गैलरी के गिरने की यह हदयविदारक घटना में 13 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जबकि कुछ लोगों को छुटपुट चोटें आई हैं। घटना पर सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज हुआ और EO, JE और सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया है।
इस पूरे मामले पर शासन गंभीर नजर आया और मेरठ मंडल की कमीश्नर अनीता मेश्राम और एडीजी मेरठ जोन राजीव सब्बरवाल को जांच का जिम्मा दिया गया है। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि गैलरी के निर्माण में बेहद घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और यह निर्माण गत अक्टूबर में हुआ है।
घटिया निर्माण की लिखित शिकायतें भी हुईं, लेकिन ये शिकायतें भ्रष्टाचार की फाइलों में दब गईं। भवन का निर्माण पूरा होने के बाद दिसंबर में माह में जांच अधिकारियों ने मानकों के अनुरूप निर्माण बताते हुए क्लीन चिट दे दी थी। लगभग 60 लाख रूपये की लागत से यह निर्माण हुआ था। प्रश्न उठता है कि जब गुणवत्ता के मानकों पर निर्माण खरा था तो एक ही बारिश में लेंटर कैसे गिर गया?
मुरादनगर हादसे के लिए ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल सिंह, सुपरवाइजर आशीष और ठेकेदार समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुरादनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। यह रिपोर्ट मृतक जयराम के बेटे की तरफ से कराई गई है। पुलिस ने EO, JE और को सुपरवाइजर को गिरफ्तार कर लिया है जबकि ठेकेदार अजय त्यागी अभी फरार है। गिरफ्तार किए गए सभी लोग सरकारी कर्मचारी है।
मुरादनगर के उखलारसी श्मशान स्थल को देखकर अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता था कि यहां दोयम दर्जे का निर्माण किया गया है। नगरपालिका ने दीवारों पर बेहद सुंदर पेंटिंग और सकारात्मक भाव वाले स्लोगन लिखे गए हैं, जिन्हें पढ़कर-देखकर मन में अच्छे भाव उत्पन्न होते हैं, लेकिन निर्माण के नाम पर मोटी रकम लेकर घटिया निर्माण करवाने वाले इन सकारात्मक भाव को अपने जीवन में नहीं उतार सकें।