पर्रिकर का जाना, उपचुनाव और कांग्रेस में बगावत गोवा की राजनीतिक सुर्खियां रहीं

Webdunia
शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019 (17:01 IST)
पणजी। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर की लंबे समय तक अस्वस्थ रहने से उनके निधन के बाद प्रदेश का मुखिया बदलने के अलावा उपचुनाव और मंत्रिमंडल में फेरबदल तथा विपक्षी कांग्रेस पार्टी में बगावत जैसे घटनाक्रमों को लेकर राज्य वर्षभर सुर्खियों में रहा।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार एवं केंद्रीय रक्षामंत्री रहे पर्रिकर वर्ष 2019 की शुरुआत में बीमार पड़ गए और उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई जिसके कारण वे पणजी के पास डोना पाउला स्थित अपने निजी आवास में रहने के लिए विवश हो गए।

पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के लिए नए उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी थी, लेकिन उनके निधन के बाद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एवं सांखली के विधायक प्रमोद सावंत प्रदेश के नए मुखिया बने और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

इसी दौरान ही महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (एमजीपी) में भी दो फाड़ हो गया और इसके 2 विधायकों मनोहर अजगांवकर और दीपक पाउसकर पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। इन दोनों को मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया और अजगांवकर को उपमुख्यमंत्री का पद मिला।

23 अप्रैल को राज्य की 3 विधानसभा सीटों मापुसा, शिरोला और मांद्रेम के लिए उपचुनाव हुआ। शिरोला और मांद्रेम सीट से निर्वाचित कांग्रेस विधायकों के पार्टी छोड़ देने और भाजपा में शामिल होने के कारण यहां उपचुनाव कराए गए जबकि मापुसा सीट से निर्वाचित विधायक एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूजा के निधन के बाद यह सीट रिक्त होने के कारण यहां उपचुनाव हुए।

इसके अलावा पर्रिकर के निधन के बाद रिक्त पणजी सीट के लिए 19 मई को उपचुनाव हुआ। इन सभी सीटों पर बहुकोणीय संघर्ष की स्थिति थी लेकिन भाजपा ने 3 सीटें जीत लीं जबकि कांग्रेस के हिस्से 1 सीट आई। अप्रैल और मई में आम चुनावों में गोवा की 2 साउथ गोवा और नॉर्थ गोवा के लिए चुनाव हुए। इनमें से साउथ गोवा सीट कांग्रेस के खाते में गई जबकि नॉर्थ गोवा में भाजपा ने अपना कब्जा बरकरार रखा।

गोवा की राजनीति में जुलाई में फिर उबाल आया और कांग्रेस के 10 विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी और वे भाजपा में शामिल हो गए और इसी के साथ ही राज्य में भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई। इससे उत्साहित मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने उपमुख्यमंत्री विजय सरदेसाई, जल संसाधन मंत्री विनोद पालेकर, बंदरगाह मंत्री जयेश सालगांवकर और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रोहन खोंटे को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया और बागी कांग्रेसी विधायकों को शामिल किया। इनमें पूर्व विपक्षी नेता चंद्रकांत बाबू कावलेकर को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

कांग्रेस और एमजीपी में बगावत के बाद उनके विधायकों की संख्या कम हो गई। कांग्रेस विधायकों की संख्या 15 से घटकर 10 हो गई जबकि एमजीपी विधायकों की संख्या 3 से 1 रह गई।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Chandrayaan-3 को लेकर ISRO का बड़ा खुलासा, क्या सच होगा आशियाने का सपना

Disha Salian Case से Maharashtra में सियासी भूचाल, अब नारायण राणे का बयान, उद्धव ठाकरे का 2 बार आया कॉल

Airlines ने लंदन हीथ्रो Airport पर फिर शुरू कीं उड़ानें, आग लगने से 18 घंटे बाधित था परिचालन

नागपुर हिंसा पर CM फडणवीस का नया बयान, दंगाइयों से होगी नुकसान की वसूली, नहीं चुकाने पर चलेगा बुलडोजर

Microsoft और Google को टक्कर देने की तैयारी में मोदी सरकार, बनाएगी Made in India वेब ब्राउजर

सभी देखें

नवीनतम

राष्ट्रपति मुर्मू आज से ओडिशा के 2 दिवसीय दौरे पर, अनेक कार्यक्रमों में लेंगी भाग

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण को लेकर राज्यसभा में बवाल, कार्यवाही स्थगित

अहमदाबाद के पास बुलेट ट्रेन परियोजना स्थल पर दुर्घटना, कई ट्रेनें रद्द

नागपुर हिंसा के आरोपी फहीम खान पर कसा शिकंजा, घर पर चलेगा बुलडोजर

Petrol Diesel Prices: सप्ताह के प्रथम दिन पेट्रोल और डीजल के दाम बरकरार, जानें ताजा कीमतें

अगला लेख