जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

राम यादव
शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024 (09:46 IST)
Half of Germany's cabinet in India : जर्मनी के चांसलर (प्रधानमंत्री) ओलाफ़ शोल्त्स (Olaf Scholtz) अपने लगभग आधे मंत्रिमंडल के साथ इस समय भारत की 3 दिवसीय यात्रा पर हैं। जर्मनी का चांसलर बनने के बाद से यह उनकी तीसरी भारत यात्रा है। इस यात्रा का मुख्य कारण नई दिल्ली में 7वें भारत-जर्मन अंतरसरकारी परामर्श का आयोजन है, जो दोनों देशों के बीच मंत्रिस्तरीय बैठकों की एक नियमित परंपरा बन गया है। इस बार उसका आदर्श वाक्य है- 'नवाचार, गतिशीलता और टिकाऊपन के साथ आगे बढ़ते हुए।'
 
मंत्रिस्तरीय वार्ताओं से पहले चांसलर शोल्त्स और प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के बीच द्वविपक्षीय वार्ता होगी और उसके बाद दोनों नेता नई दिल्ली में जर्मन उद्योग जगत के एशिया-प्रशांत सम्मेलन को संबोधित करेंगे। भारत प्रवास के अपने तीसरे दिन शनिवार, 26 अक्टूबर को जर्मन चांसलर गोवा में वास्को द गामा जाएंगे। वहां वे अन्य बातों के अलावा जर्मन नौसेना के फ्रिगेट बाडेन-व्युर्टेमबेर्ग और रसद आपूर्ति जहाज़ फ्रांकफुर्ट आम माइन के सैनिकों से मिलेंगे। ये दोनों नौसैनिक जहाज़ हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर नज़र रखने की अमेरिका और उसके मित्र देशों की योजना के अंतर्गत इस समय गोवा में हैं।ALSO READ: भारत के कुशल कर्मियों को नौकरी देगा जर्मनी
 
शोल्त्स-मोदी मित्रता : चांसलर शोल्त्स प्रधानमंत्री मोदी को अपना मित्र बताते हैं। कहते हैं कि हम दोनों के बीच इस दोस्ती के लिए मैं आभारी हूं। वे मोदीजी से निकटता चाहते हैं। चांसलर शोल्त्स ही थे जिन्होंने 2022 के G-7 शिखर सम्मेलन के अतिथि के रूप में मोदीजी को आमंत्रित किया था। तब से दोनों नेता अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई बार मिले हैं और निजी तौर पर भी बातें की हैं।
 
दोनों ही जानते हैं कि भारत और जर्मनी को विश्व की तेज़ी से अशांत होती स्थिति में अपरिहार्य व्यापारिक भागीदारों और सहयोगियों के रूप में एक-दूसरे की आवश्यकता है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारे देशों को निकटता की आवश्यकता है, चांसलर शोल्त्स ने एक बार कहा।ALSO READ: सैन्य संबंधों को मजबूत करने चले जर्मनी और भारत
 
जर्मनी और भारत के बीच मंत्री स्तर पर अंतरसरकारी परामर्श 2011 से हो रहे हैं। उनमें विश्वास-निर्माण के उपायों से लेकर समानताओं की खोज और पारस्परिक मतभेदों तक पर चर्चा होती है। एक ओर जर्मनी और यूरोपीय संघ यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से निपटने में लगे हैं। दूसरी ओर, भारत अपने उत्तरी पड़ोसी चीन के विस्तारवाद को लेकर चिंतित है, जो सैन्य और आर्थिक रूप से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र पर हावी होना चाहता है। दोनों देशों के सामने अपूर्व भू-राजनीतिक चुनौतियां हैं।
 
भारत का तेज़ विकास बना आकर्षण : जर्मनी के उद्योग और अर्थ मंत्री रोबेर्ट हाबेक एक अलग सरकारी विमान से दिल्ली पहुंचे हैं। उनका मानना है कि जर्मनी को भारत में हो रहे तेज़ आर्थिक विकास का लाभ उठाना चाहिए। 2023 में भारत को जर्मन निर्यात में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
 
जर्मनी, यूरोपीय संघ में भारत का इस समय नंबर 1 व्यापारिक भागीदार है। वह चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। यह एक कारण है कि जर्मनी, यूरोपीय संघ और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते की 13 वर्षों से चल रहीं वार्ताओं का अंत जल्द ही किसी समझौते के रूप में देखना चाहता है।
 
यह भी कोई संयोग नहीं है कि जर्मनी के श्रम मंत्री हूबेर्टुस हाइल भी चांसलर शोल्त्स के साथ भारत में हैं। 2 साल पहले जर्मनी और भारत ने पहली बार प्रवासन समझौता किया था। चांसलर शोल्त्स ने उसे विश्वस्तर पर जो कुछ भी संभव है, उसके लिए एक रोल मॉडल बताया था।ALSO READ: भारतीय कामगारों को लुभाने की कोशिश कर रहा है जर्मनी
 
जर्मनी को चाहिए भारतीय कुशलकर्मी : जर्मनी को इस समय कुशल श्रमिकों की सख़्त जरूरत है। उसका मानना है कि भारत के पास उनकी भरमार है। जर्मनी चाहता है कि भारत के ऐसे युवा, जो उच्च शिक्षा प्राप्त हैं या किसी काम के प्रशिक्षित अथवा अनुभवी कुशलकर्मी हैं, जर्मनी आएं। IT वालों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और नर्सों के अलावा कल-कारख़ानों, व्यापारिक संस्थानों, रेल और सड़क परिवहन, राज़गीर, प्लंबर, फ़िटर, इलेक्ट्रीशियन इत्यादि जैसे अनेक कामों के प्रशिक्षित कुशलकर्मियों की ज़रूरत है। शर्त यह है कि उन्हें जर्मन भाषा या तो आती हो या हो सके तो वे जल्द ही सीखें। जर्मनी, भारत में ही रहकर जर्मन भाषा सीखने की सुविधाओं का विस्तार करेगा।
 
2023 में 52,000 भारतीयों को जर्मनी का वीजा मिला : कोरोना महामारी से पहले की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक। जर्मनी में भारतीय कुशल श्रमिकों की संख्या 2020 की तुलना में दोगुनी हो गई है। भारतीय ही जर्मनी में सबसे सफल और उच्चतम आय वाले प्रवासी हैं। श्रम मंत्री हाइल उनकी संख्या तेज़ी से बढ़ती देखना चाहते हैं।
 
ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग : जर्मन मंत्रियों के लिए दिल्ली में बातचीत करने लायक बहुत कुछ है। उनके दिल्ली प्रवास के समय ही जर्मन व्यवसायियों द्वारा आयोजित एशिया-प्रशांत सम्मेलन भी हो रहा है। मोदी और शोल्त्स उसे संबोधित करेंगे। अर्थमंत्री हाबेक सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। वे संभवत: ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को भी संबोधित करेंगे।
 
हाइड्रोजन ऊर्जा रोडमैप भी जोड़ा : सन् 2000 से एक जर्मन-भारतीय ऊर्जा साझेदारी चल भी रही है और हाल ही में एक हाइड्रोजन ऊर्जा रोडमैप भी उसमें जोड़ा गया है। जर्मनी, भारत जैसे ऐसे धूपहले देशों की तलाश में है, जहां सूरज की धूप का लाभ उठाकर पानी के विद्युत-अपघटन से बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन ऊर्जा प्राप्त की जा सके। वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के निरंतर बढ़ते जाने को रोकने के लिए हाइड्रोजन ऊर्जा को ही इस समय सबसे उत्तम विकल्प माना जाता है।
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

PoK तुरंत छोड़ दे Pakistan, बलूच नेताओं की धमकी, अब क्या करेगा आतंकिस्तान

पहले भी महिलाओं पर दिए बयानों से विवाद में रहे है मंत्री विजय शाह, पुलिस ने भी की थी पिटाई

देश की पहली महिला राफेल पायलट हैं शिवांगी सिंह, जिन्हें पकड़ने का पाकिस्तान ने किया झूठा दावा, जानिए उनकी कहानी

Bhargavastra : आ गया दुश्मनों के ड्रोन्स का काल, Pakistan और China के हर वार को आसमान में ही कर देगा भस्म, देखें Video

itel A90 : 7000 रुपए से भी कम कीमत में लॉन्च हुआ iPhone जैसा दिखने वाला स्मार्टफोन

सभी देखें

नवीनतम

जनसत्ता दल सुप्रीमो रघुराज प्रताप सिंह पहुंचे रामलला के दरबार में

उत्तरप्रदेश के हरदोई में ऑटो-ट्रक की टक्कर में 6 लोगों की मौत

India-Pakistan War : पाकिस्तान पर काल बनकर बरसीं ये स्वदेशी मिसाइलें, आतंक के आका को सदियों तक रहेगा भारतीय हमले का सदमा

डोनाल्ड ट्रंप ने दिया संकेत, भारत ने की अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क घटाने की पेशकश

UP में दवा कारोबारियों पर कड़ी कार्रवाई, 30 करोड़ से ज्यादा की नकली दवाएं जब्त, 68 लोग गिरफ्तार

अगला लेख