नई दिल्ली। पानी में कोरोनावायरस (Coronavirus) मिलने की खबर के बाद हड़कंप मचा हुआ है। इसी बीच, आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) इस बात पर आईआईटी कानपुर शोध करने जा रहा है कि यह वायरस पानी में कितने समय तक जिंदा रह सकता है साथ ही यह कितना खतरनाक हो सकता है।
दरअसल, गंगा के पानी में लगातार शवों का मिलना और फिर सीवर के पानी में कोरोनावायरस के अंश मिलने के बाद विभिन्न शोध संस्थानों को शोध का नया विषय मिल गया है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया काफी लंबी है और बिना किसी विशेषज्ञ की मदद के इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक प्रो. विनोद तारे का कहना है कि आखिर सीवर के पानी में वायरस कैसे पहुंचा, इस पर संस्था के वैज्ञानिक भी शोध करेंगे। उनका कहना है कि इससे यह साबित होता है कि सीवर में वायरस मिलने से यह साबित हुआ है कि वायरस पानी में बहता है साथ ही यह पूरी तरह नष्ट नहीं होता।
पानी में कोरोना वायरस का जीवन कितना है, यह कितना खतरनाक हो सकता है, इस पर कानपुर आईआईटी शोध करेगा। यह बात आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर विनोद तारे ने कही। उन्होंने कहा कि हालांकि यह प्रक्रिया काफी लंबी है और इसे बिना किसी एक्सपर्ट की मदद के आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
लखनऊ और मुंबई के सीवर में मिला था वायरस : उल्लेखनीय है कि हाल ही में लखनऊ के सीवर के पानी में कोरोना वायरस मिलने से हड़कंप मच गया था। संजय गांधी एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को सीवर के पानी में कोरोना वायरस मिला था। विभाग ने स्थानों ने जगहों से पानी के सैंपल लिए थे। लखनऊ से पहले मुंबई के के सीवर के पानी में भी वायरस मिला था। डॉक्टरों का अनुमान है सीवर के पानी में कोरोना संक्रमितों के जरिए पहुंचा होगा