Census : 16 साल बाद 16वीं जनगणना, कितना होगा खर्चा, क्या होगी प्रक्रिया, कब होगी शुरुआत, जानें हर सवाल का जवाब

जनगणना के साथ ही जातिगत गणना भी की जाएगी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 16 जून 2025 (19:10 IST)
Population Census 2027 : 2011 में हुई पिछली जनगणना के 16 साल बाद सरकार ने भारत की 16वीं जनगणना 2027 में कराने के लिए सोमवार को अधिसूचना जारी की। इसमें जाति गणना भी शामिल होगी। अधिसूचना के अनुसार लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में जनगणना 1 अक्टूबर 2026 की संदर्भ तिथि तथा देश के बाकी हिस्सों में 1 मार्च 2027 की संदर्भ तिथि से की जाएगी। जनगणना के साथ ही जातिगत गणना भी की जाएगी। हालांकि जनगणना के लिए संदर्भ तिथियां (बर्फ से घिरे क्षेत्रों के लिए) एक अक्टूबर 2026 और (शेष भारत के लिए) 1 मार्च 2027 हैं। मगर आवास सूचीकरण चरण अप्रैल 2026 तक शुरू हो सकता है। 
 
क्या होगी जनगणना की शुरुआत की तारीख
अधिसूचना के अनुसार उक्त जनगणना के लिए केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के बर्फ बारी वालों क्षेत्रों के अलावा बाकी राज्यों के लिए संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 को 00.00 बजे होगी। इसमें कहा गया है कि लद्दाख और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के बर्फ से ढंके क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि एक अक्टूबर 2026 को 00:00 बजे होगी।
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कितना खर्च और कर्मचारी
देशभर से जनसंख्या संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराने का यह विशाल कार्य लगभग 34 लाख गणनाकर्ताओं और पर्यवेक्षकों तथा डिजिटल उपकरणों से लैस लगभग 1.3 लाख जनगणना कर्मियों द्वारा किया जाएगा। इसपर सरकार के 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। इससे पहले गणनाकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को इस कवायद के सुचारू संचालन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण प्रक्रिया अक्टूबर 2025 में शुरू हो सकती है।
 
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को यहां केंद्रीय गृह सचिव, भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि जनगणना कार्य शुरू होने के बाद से यह 16वीं जनगणना है तथा स्वतंत्रता के बाद आठवीं जनगणना है।
 
आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना
संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, जनगणना सातवीं अनुसूची में संघवर्ती सूची में 69वें स्थान पर सूचीबद्ध विषय है। जनगणना समाज के हर वर्ग से डेटा संग्रह का प्राथमिक स्रोत है और एक दशकीय गतिविधि है। आगामी जनगणना में जाति गणना भी की जाएगी, जो आजादी के बाद पहली बार होगी। पिछली व्यापक जाति-आधारित गणना अंग्रेजों ने 1881 और 1931 के बीच की थी। आजादी के बाद से किए गए सभी जनगणना कार्यों से जाति को बाहर रखा गया था।
 
जाति की गणना किसलिए
आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा लिया गया था। एक आधिकारिक बयान में कहा गया था, "इन सभी परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारा सामाजिक ताना-बाना राजनीतिक दबाव में न आए, यह निर्णय लिया गया है कि एक अलग सर्वेक्षण में जाति गणना कराने के बजाय मुख्य जनगणना में इसे शामिल किया जाना चाहिए।"
जातिगत आंकड़े हुए थे इकट्ठे
साल 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा को आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इस विषय पर विचार-विमर्श के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया और अधिकतर राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना कराने की सिफारिश की। हालांकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने जाति जनगणना के बजाय सर्वेक्षण का विकल्प चुना, जिसे सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के रूप में जाना जाता है।
 
संयुक्त प्रगतिशाल गठबंधन (संप्रग) सरकार के तहत 2011 में एसईसीसी के अंतर्गत जातिगत आंकड़े एकत्र किए थे, लेकिन इसे कभी भी पूरी तरह से प्रकाशित या उपयोग नहीं किया गया। बिहार और तेलंगाना ने पिछले तीन वर्षों में जातिगत सर्वेक्षण कराए हैं। आगामी प्रक्रिया में लोगों को स्व-गणना का प्रावधान भी उपलब्ध कराया जाएगा।
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2 चरणों में होगी जनगणना
जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण में - हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (एचएलओ) - प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं का विवरण एकत्र किया जाएगा। इसके बाद, दूसरे चरण में - जनसंख्या गणना (पीई) जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सांस्कृतिक स्थिति और प्रत्येक घर में प्रत्येक व्यक्ति का अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा। संग्रहण, प्रेषण और भंडारण के समय डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत सख्त डेटा सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे।
2011 की जनगणना में क्या था आंकड़ा
जनगणना 2011 के अनुसार देश की जनसंख्या 121.019 करोड़ थी, जिसमें से 62.372 करोड़(51.54 प्रतिशत) पुरुष और 58.646 करोड़ (48.46 प्रतिशत) महिलाएं थीं।
 
कोरोना के कारण नहीं हो पाई 2012 की जनगणना
2021 के लिए जनगणना की तैयारियां पूरी कर ली गई थीं और कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एक अप्रैल 2020 से फील्डवर्क शुरू होना था। देश भर में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण जनगणना का काम स्थगित कर दिया गया था। 2021 की जनगणना में राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को भी अद्यतन करने की योजना थी, लेकिन 2027 की अधिसूचना में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ऐसा किया जाएगा या नहीं।
 
देने होंगे 3 दर्जन सवालों के जवाब
नागरिकों को लगभग तीन दर्जन सवालों के जवाब देने होंगे, जिनमें यह पूछा जाएगा कि क्या वे टेलीफोन या इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं; उनके पास कौन-कौन से वाहन हैं, वे कौन-कौन से अनाज खाते हैं, उनका जलस्रोत क्या है, उनका घर किस प्रकार का है, और क्या परिवार का मुखिया महिला है या अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एससी) से संबंधित है।  (भाषा) Edited by: Sudhir Sharma  

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