कैसे जागते हैं रामलला, कब होती है आरती, कैसा होता है भोग, जानिए मुख्‍य पुजारी सत्येन्द्र दास से

अयोध्या राम मंदिर में रोज 5 बार होती है आरती, शयन आरती के बाद दर्शन बंद

संदीप श्रीवास्तव
  • सात दिन, सात रंग के वस्त्र
  • सुबह 6 से रात 10 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुला रहता है मंदिर
  • कैसी है रामलला को शयन से जगाने की प्रक्रिया
Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला विराजित तो हो गए हैं, लेकिन लोगों के मन में राललला को लेकर कई तरह के सवाल भी होते हैं। जैसे- उनकी सेवा कैसे होती है, उनकी आरती कितनी बार की जाती है साथ ही उन्हें क्या भोग लगाया जाता है, उनका श्रृंगार कैसे होता है? इस तरह के प्रश्न श्रद्धालुओं के मन में उठना स्वाभाविक भी है। इन सभी सवालों के जवाब हम श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास (Chief Priest Acharya Satyendra Das) से ही जानते हैं। 
 
आचार्य सत्येन्द्र दास ने वेबदुनिया से बात करते हुए बताया कि रामलला की पांच आरती होती हैं। सुबह 4:30 बजे रामलला की  मंगला आरती होती है, उसके बाद प्रातः 6:00 बजे होती है श्रृंगार आरती, अपराह्न 12:00 भोग आरती होती है, सायं 7:00 बजे संध्या आरती होती है और रात्रि 10:00 बजे शयन आरती होती है।
 
कैसा होता है रामलला का भोग : आचार्य दास ने बताया कि रामलला को बाल भोग के साथ-साथ राज भोग भी लगता है। बाल भोग रबड़ी, पेड़ा, पंचमेवा इत्यादि से लगाया जाता है, जबकि राज भोग में पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल व रोटी का भोग लगाया जाता है। उन्होंने बताया कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से अयोध्या में रामभक्तों की संख्या अत्यधिक होने के चलते राम मंदिर भक्तों के दर्शन हेतु प्रात: 6:00 से रात्रि 10:00 बजे तक खुला रहता है ताकि श्रद्धालुओं को सुलभता से दर्शन हो सकें। 
कैसे जागते हैं रामलला : वहीं, अयोध्या के आचार्य मंदिर के महंत विवेक आचार्य ने बताया कि बाल स्वरूप में भगवान राम लला को जब सुबह जगाया जाता है तो पुजारी सबसे पहले उनके समक्ष धीमे-धीमे ताली देते हैं। फिर छोटी घंटी को मीठी-मीठी आवाज में बजाया जाता है। इसके उपरांत भगवान को उठाया जाता है। उसके बाद उन्हें स्नान कराया जाता है, फिर भगवान के वस्त्र बदले जाते हैं। इसके बाद उन्हें इत्र, चंदन, तिलक, श्रृंगार इत्यादि अर्पण करने के बाद भगवान का आरती और भोग लगाकर फिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पर्दा हटाया जाता है।
 
उन्होंने बताया कि भगवान के भोग की परंपरा अलग-अलग होती है। बाल भोग सुबह का प्रसाद होता है। इसके बाद कभी-कभी पूरा भोग लगता है, जिसमें अन्न का भोग होता है। उन्होंने बताया कि एकादशी के दिन चावल का भोग नहीं लगाया जाता है। अन्य कोई भोग लगाया जा सकता। छप्पन भोग हैं, विभिन्न प्रकार के भोग हैं, भोग की कमी नहीं है भगवान के पास।
 
सात दिन, सात रंग के वस्त्र : उन्होंने रामजी के वस्त्रों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हफ्ते में सात दिन हैं और भगवान को सातों दिन मे अलग-अलग कलर के वस्त्र पहनाए जाते हैं। आचार्य जी ने बताया कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के पूर्व अयोध्या में दो बार भारी भीड़ देखी गई थी। एक तो वर्ष 1990 मे जब कारसेवको पर गोलियां चली थीं। इसके बाद उससे ज्यादा भीड़ 6 दिसंबर को अयोध्या में दिखी। उसके बाद अब जो भीड़ देख रहे है, वह राम भक्तों की है, जो दर्शन करने अयोध्या आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि रामनवमी के दिन अयोध्या में कितनी भीड़ होगी इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। 
         
अयोध्या श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या द्वारा जारी आरती व दर्शन हेतु समय सारिणी  
रात्रि शयन आरती के पश्चात प्रातः मंगला आरती होने तक श्रद्धालुओं को दर्शन नहीं हो सकेंगे। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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