कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया है। अब इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है।
ICMR का कहना है कि छोटे बच्चों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा है। इसलिए बच्चों के लक्षणों पर ध्यान देना होगा। हालांकि फिलहाल भारत में मंकीपॉक्स का एक भी मामला सामने नहीं आया है, लेकिन सरकार इसे लेकर हाई अलर्ट पर है।
दूसरी तरफ प्राइवेट हेल्थ डिवाइस कंपनी ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर ने मंकीपॉक्स की जांच के लिए एक RT-PCR टेस्ट किट तैयार की है। जिसकी जांच रिपोर्ट 1 घंटे के अंदर आ जाएगी।
बता दें कि अब तक 21 देशों में मंकीपॉक्स के 226 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। WHO ने शुक्रवार को कहा कि लगभग 100 संदिग्ध मरीज ऐसे देशों से रिपोर्ट किए गए हैं, जहां मंकीपॉक्स आमतौर पर नहीं पाया जाता है। मंकीपॉक्स का पहला मामला ब्रिटेन में 7 मई को सामने आया था।
एपिसेंटर बना स्पेन
वहीं, मंकीपॉक्स संक्रमण के लिए एपिसेंटर स्पेन को माना जा रहा है। शुक्रवार तक यहां 98 मामलों की पुष्टि हुई। वहीं, ब्रिटेन में 106 और पुर्तगाल में 74 मरीज मिले। वहीं, कनाडा, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, इटली और अमेरिका समेत कई देशों में यह फैल चुका है।
क्या करें और क्या न करें? मंकीपॉक्स के बढते खतरे को देखते हुए हेल्थ एजेंसी ने एक गाइडलाइन भी जारी की है कि इससे कैसे बचा जा सकता है और क्या सावधानी रखी जा सकती है।
मंकीपॉक्स एक यौन रोग यानी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (STD) नहीं है।
हालांकि सेक्स के दौरान संक्रमित व्यक्ति के करीब जाने से यह बीमारी फैल सकती है।
WHO का कहना है कि किसी इंसान में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उससे सेक्शुअल कॉन्टैक्ट बिलकुल न करें।
किसी भी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर उससे स्किन-टु-स्किन, फेस-टु-फेस और सेक्शुअल कॉन्टैक्ट न करें।
मरीज के थोड़ा भी करीब आने पर मास्क पहनें और हाथ धोएं।
मंकीपॉक्स के लक्षणों में पूरे शरीर पर मवाद से भरे दाने, बुखार, सूजी हुई लिंफ नोड्स, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं।