मातृत्व अवकाश को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला, नियोक्ता को दिए यह निर्देश...

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शनिवार, 11 मई 2024 (00:56 IST)
Important decision of the High Court regarding maternity leave : बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि मां बनना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है और एक नियोक्ता को महिला कर्मचारियों का ध्यान रखना चाहिए और उसके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। अदालत ने यह बात भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (AAI) द्वारा जारी उस पत्र को खारिज करते हुए कही जिसमें एक महिला कर्मचारी को इस आधार पर मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि उसके पहले से ही 2 बच्चे हैं।
ALSO READ: Google ने लिया बड़ा एक्शन, प्ले स्टोर से क्‍यों हटाए शादी, नौकरी डॉट कॉम समेत ये बड़े ऐप्‍स
न्यायमूर्ति एएस चंदूरकर और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने कहा कि हमारे समाज का लगभग आधा हिस्सा महिलाएं बनाती हैं, उनके साथ उन स्थानों पर सम्मानित और सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए जहां वे अपनी आजीविका कमाने के लिए काम करती हैं।
 
महिलाओं को वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए जिनकी वे हकदार हैं : खंडपीठ ने कहा कि उनके कर्तव्यों, व्यवसाय और कार्यस्थल की प्रकृति जो भी हो, महिलाओं को वे सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए जिनकी वे हकदार हैं। पीठ ने एएआई, पश्चिमी क्षेत्र मुख्यालय द्वारा जारी 2014 के उस पत्र को रद्द कर दिया, जिसमें एक कर्मचारी को यह कहते हुए मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था कि उसके पहले से ही दो बच्चे हैं।
 
नियोक्ता को कामकाजी महिला के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए : अदालत ने कहा, मां बनना एक महिला के जीवन की सबसे स्वाभाविक घटना है। किसी सेवारत महिला के बच्चे के जन्म को सुविधाजनक बनाने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है, नियोक्ता को उसका ध्यान रखना चाहिए। नियोक्ता को एक कामकाजी महिला के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और गर्भ में बच्चे के साथ कार्यस्थल पर कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए आने वाली शारीरिक मुश्किलों या जन्म के बाद बच्चे का पालन-पोषण करते समय आने वाली कठिनाइयों का एहसास होना चाहिए।
ALSO READ: स्वीटी और बेबी कहना हमेशा यौन टिप्पणियां नहीं होतीं: कलकत्ता उच्च न्यायालय
अदालत ने यह फैसला एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया वर्कर्स यूनियन और कनकावली राजा अर्मुगम उर्फ कनकावली श्याम संदल द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनाया। ये याचिकाएं 2014 में एएआई, पश्चिमी क्षेत्र मुख्यालय द्वारा जारी उन दो पत्रों को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जिसमें मातृत्व अवकाश लाभ के लिए कनकावली के आवेदन को खारिज कर दिया गया था क्योंकि उनके पहले से ही दो बच्चे थे।
 
महिला को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गई थी : पत्र में कहा गया था कि महिला एएआई अवकाश विनियम 2003 के अनुसार मातृत्व अवकाश के लिए अयोग्य थी। महिला का पहला विवाह एएआई के कर्मचारी राजा अर्मुगम से हुआ था और उनकी मृत्यु के बाद उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी गई थी। महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी पिछली शादी से उसका एक बच्चा था और अपने पहले पति की मृत्यु के बाद उसने दूसरी शादी की और इस विवाह से दो बच्चे पैदा हुए। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

सम्बंधित जानकारी

Bhojshala Survey : भोजशाला सर्वेक्षण का 93वां दिन, हिंदू नेता ने किया मूर्तियां मिलने का दावा

Paper Leak मामले में सरकार का बड़ा एक्शन, NTA के DG को हटाया गया

यह लोकसभा अलग दिखने वाली है, मोदीजी! सब कुछ बदलना पड़ेगा!

EOU की टीम ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को NEET पेपर लीक से जुड़ी पूरी रिपोर्ट सौंपी, बड़ी साजिश का खुलासा

लाइसेंस मांगने पर पुलिसवाले को कार से घसीट डाला, वीडियो वायरल

राजकोट गेम जोन हादसा : राजकोट के मुख्य अग्निशमन अधिकारी समेत 3 गिरफ्तार

जोधपुर सांप्रदायिक हिंसा : पुलिस पर पथराव के बाद 51 लोग गिरफ्तार, धारा 144 लागू

दिग्विजय सिंह का दावा- MP की BJP कार्यकर्ता की UP में हत्या, शव के लिए भटक रहा परिवार

Bhojshala Survey : भोजशाला सर्वेक्षण का 93वां दिन, हिंदू नेता ने किया मूर्तियां मिलने का दावा

Paper Leak : बिहार पुलिस को NTA से संदर्भ प्रश्न पत्र मिले, आरोपियों का हो सकता है ‘नार्को टेस्ट’

अगला लेख