जम्मू। इस साल जनवरी महीने में सुरक्षाबलों ने 21 आतंकियों को ढेर कर दिया, जबकि 2022 में अभी तक 40 को जहन्नुम का रास्ता दिखाया गया है।
पिछले साल 200 के लगभग आतंकी ढेर कर दिए गए। इन सफलताओं का श्रेय सिर्फ सुरक्षाबलों को ही नहीं जाता है बल्कि उनके इंटेलिजेंस नेटवर्क तथा खबरियों को भी जाता है जो सुरक्षाबलों की ही तरह जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। जबकि उससे भी ज्यादा श्रेय के हकदार वे कश्मीरी नागरिक हैं जो अब आतंकियों से त्रस्त हो चुके हैं।
कश्मीर के रेंज के पुलिस आईजी विजय कुमार और महानिदेशक दिलबाग सिंह भी इसे स्वीकार कर चुके हैं कि हमलों और हत्याओं के तुंरत बाद आतंकियों को ढेर करने में उनका खुफिया तंत्र तथा खबरी अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे इसे भी स्वीकार करते हैं कि कश्मीरी नागरिकों की मदद के बिना इतनी तत्परता से आतंकियों को मार गिराना संभव नहीं हो पाता।
ताजा उदाहरण पिछले 5 दिनों के दौरान मारे गए 9 आतंकियों की संख्या को ही लें। इनमें से 5 वे थे जिन्होंने पिछले ही हफ्ते तीन सरपंचों समेत कुछ नागरिकों को मौत के घाट उतारा था और कई जगह सुरक्षाबलों पर हमले किए थे।
ठीक इसी तरह से खुफिया तंत्र, नागरिकों की मदद तथा सीसीटीवी कैमरे उन आतंकियों को जिंदा पकड़ने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं जो सुरक्षाबलों पर हमले करने व हथगोले फैंकने के बाद भूमिगत होते रहे हैं।
अमीरा कदल में हुए हथगोले के हमले के मामले को ही लें, जिसमें दो नागरिकों की मौत हो गई थी और जिम्मेदार 2 आतंकियों को 24 घंटों के भीतर ही दबोचा गया था और इसके लिए श्रेय के हकदार मजबूत खुफिया तंत्र, खबरी तथा आम कश्मीरी की अप्रत्यक्ष मदद ही थी।