नई दिल्ली। चीन में शिंजियांग प्रांत के उइगर समुदाय के असंतुष्ट नेता डोल्कुन ईसा और दो अन्य असंतुष्ट नेताओं को पहले वीजा देने और बाद में रद्द कर देने से भले ही मोदी सरकार की विदेश नीति आलोचना का शिकार हो रही है लेकिन इस कूटनीतिक दांव से चीन को अहसास हो गया है कि मसूद अजहर के मामले में उसके पाकिस्तान के हाथ में खेलने पर भारत भी उसकी कमजोर नस दबा सकता है।
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पठानकोट हमले के सूत्रधार जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 समिति में प्रतिबंधित किए जाने के प्रस्ताव पर चीन के वीटो ने भारत को हतप्रभ कर दिया था लेकिन चीन में आतंकवादी घोषित डोल्कुन ईसा एवं 2 अन्य असंतुष्ट नेताओं के भारत में दलाई लामा के सान्निध्य में इकट्ठा होने की खबरों से चीन सरकार को अहसास हो गया कि भारत उसकी कमजोर नस दबाने से गुरेज नहीं करेगा।
सूत्रों का कहना है कि वीजा विवाद तो एक बानगी भर है। भारत के तरकश में चीन को घेरने के लिए अभी कई और तीर मौजूद हैं।
चीन ने मार्च में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समिति 1267 में मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव पर यह कहते हुए वीटो लगा दिया था कि यह मामला सुरक्षा परिषद की 'अपेक्षाओं को पूरा नहीं करता।' चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी कहा कि भारत ने मसूद के बारे में पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं। कूटनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह पाकिस्तान की भाषा थी।
राजनयिक स्तर पर चीनी नेतृत्व के समक्ष उठाए जाने पर भी जब कोई बात नहीं बनी तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 15 अप्रैल को मॉस्को में रूस-भारत-चीन (आरआईसी) की मंत्रिस्तरीय बैठक में बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग ई के साथ द्विपक्षीय बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की और साफ-साफ कहा कि 'तेरा आतंकवादी, मेरा आतंकवादी' के भेदभाव वाले दृष्टिकोण के साथ आतंकवाद का मसला हल नहीं हो पाएगा।
इसी बीच रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर भी चीन की यात्रा पर गए और उनकी चीनी रक्षामंत्री जनरल चांग वानक्वान के साथ चर्चा में भी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना के बारे में चीन के रुख पर भारत की आपत्तियों को साफ-साफ सामने रखा।
उन्होंने चीनी रक्षामंत्री से कहा कि संयुक्त राष्ट्र में जो कुछ हुआ, वह सही दिशा में नहीं है और उन्हें आतंकवाद पर एक समान रुख अपनाना होगा, जो भारत और चीन दोनों के हित में है।
रक्षामंत्री ने इस मुद्दे के साथ ही पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीन की परियोजनाओं पर स्पष्टीकरण भी मांगा। (वार्ता)