गलवान घाटी में पीछे हटे सैनिक, हटाए अपने कैंप

Webdunia
सोमवार, 6 जुलाई 2020 (12:11 IST)
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में तनाव कम होने का पहला संकेत मिला है, जहां चीन की सेना ने गलवान घाटी के कुछ हिस्सों से तंबू हटा लिए हैं और सैनिकों को पीछे हटते देखा गया। सरकारी सूत्रों ने सोमवार को बताया कि दोनों सेनाओं के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता के दौरान हुए समझौते के तहत यह हो रहा है। गलवान घाटी ही वह जगह है जहां दोनों देश की सेनाओं के बीच 15 जून को हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।
 
सूत्रों ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी गश्त बिंदु 14 पर लगाए गए तंबू एवं अन्य ढांचे हटाते हुए देखी गई है। साथ ही बताया कि गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके में भी चीनी सैनिकों के वाहनों की इसी तरह की गतिविधि देखी गई है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के कोर कमांडर स्तर की बातचीत में बनी सहमति के तहत चीनी सैनिकों ने इलाके से पीछे हटना शुरू किया है।
ALSO READ: सेनाध्यक्ष को अपने बीच पाकर गलवान वैली के बहादुरों का सीना हुआ चौड़ा
 
सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 से ढांचों एवं सैनिकों के पीछे हटने का स्पष्ट संकेत है और कहा कि वे इलाके में एक किलोमीटर से अधिक दूरी तक पीछे हट सकते हैं। उन्होंने कहा कि तत्काल यह पता लगाना संभव नहीं है कि चीनी सैनिक कितनी दूर तक पीछे हट रहे हैं क्योंकि उचित सत्यापन प्रक्रिया के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

 गलवान घाटी में हिंसक झड़प, गश्त बिंदु 14 के पास चीन द्वारा सर्विलांस चौकी स्थापित करने के भारतीय सैनिकों के विरोध के बाद हुई थी।
 
यह तत्काल नहीं पता चल सका है कि तनाव कम करने की यह पहल पेगोंग सो इलाके में भी शुरू हुई है या नहीं, जहां चीन ने काफी हद तक अपनी मौजूदगी बढ़ा ली है खासकर फिंगर 4 और फिंगर 8 में।
 
भारतीय और चीनी सेना ने 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे चरण की वार्ता की थी जिसके दौरान दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए 'तेज, चरणबद्ध एवं कदम दर कदम' तनाव कम करने पर सहमत हुए थे।
 
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले चरण की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गलवान घाटी से शुरू करते हुए गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के समझौते को अंतिम रूप दिया था।
 
हालांकि गलवान घाटी संघर्ष के बाद स्थिति बिगड़ गई क्योंकि दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपनी तैनाती को काफी बढ़ा दिया था।
 
शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अचानक लद्दाख के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कब्जा करने का युग समाप्त हुआ और इतिहास इस बात का गवाह है कि 'विस्तारवादी' या तो हारे हैं या मिट गए हैं। उनकी इन टिप्पणियों को चीन के लिए स्पष्ट संदेश माना गया कि भारत पीछे नहीं हटने वाला है और इस स्थिति का मजबूती से सामना करेगा। भारतीय और चीनी सेना के बीच पिछले सात हफ्तों से पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में गतिरोध जारी है।
 
गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कई गुणा बढ़ गया था। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के सैनिक भी इस झड़प में हताहत हुए थे लेकिन उसने अब तक इसके ब्योरे उपलब्ध नहीं कराए हैं। दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने के लिए पिछले कुछ हफ्तों में कई चरण की कूटनीतिक एवं सैन्य वार्ता की हैं।
 
 
गलवान घाटी झड़प के बाद सेना ने भारी हथियारों के साथ हजारों अतिरिक्त सैनिकों को सीमा के पास अग्रिम चौकियों पर भेजा था। (भाषा) (Photo courtesy: DD News)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

बिहार चुनाव से पहले SIR का क्यों है डर? जानिए चुनाव आयोग और विपक्ष का तर्क

Government Jobs : आने वाली है सरकारी नौकरियों की बाढ़, CAPF में 1.09 लाख पद खाली, 72,689 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: दैवीय हस्तक्षेप या राजनीतिक विवशता?

राहुल ने पीएम पद ठुकराया था, मनमोहन सिंह ने किया था ऑफर, सांसद पप्पू यादव का सनसनीखेज खुलासा

गोरखपुर के PAC ट्रेनिंग सेंटर में बवाल, सुविधाओं को लेकर महिला सिपाहियों का हंगामा

सभी देखें

नवीनतम

मुख्‍यमंत्री सोरेन ने पूर्व हॉकी खिलाड़ी लकड़ा का हालचाल जाना

शाकाहारी गाय को कैसे खिलाया जाता है नॉनवेज? क्या इससे दूध की गुणवत्ता में होता है सुधार?

PM Modi UK Visit : PM मोदी की ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर से मुलाकात, FTA पर दोनों देशों के हस्ताक्षर, क्या होगा सस्ता

डीपफेक है Baby Doll Archi? AI इंजीनियर ने प्रेमिका से इंतकाम लेने के लिए बना दिया इंटरनेशनल पोर्न स्टार

बिहार विधानसभा में SIR पर भड़के तेजस्‍वी यादव, बोले- जो हो रहा वह किसी धोखाधड़ी से कम नहीं

अगला लेख