सिंधु नदी जल समझौते पर मोदी सरकार अचानक नर्म क्यों हुई?

Webdunia
शुक्रवार, 3 मार्च 2017 (17:19 IST)
नई दिल्ली। पिछले वर्ष भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले के बाद से भारत-पाक संबंधों में गहरी कड़वाहट आ गई थी। यहां तक कि भारत ने सिंधु नदी के पानी रोक देने की धमकी तक दे डाली थी। लेकिन अब अचानक मोदी सरकार का रुख कठोर से नर्म क्यों हो गया है?
 
हाल ही में खबर मिली है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि लाहौर में होने वाली स्थायी सिंधु आयोग की बैठक में मिलने वाले हैं। इसलिए सवाल उठता है कि सिंधु नदी जल समझौते पर मोदी सरकार के अचानक नर्म हुए रुख की वजह क्या है?
 
पिछले साल भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों (पठानकोट और उरी) पर हुए आतंकी हमलों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिए थे कि भारत 57 साल पहले पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते पर फिर से विचार कर सकता है। यहां तक कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से भी कहा था कि भारत अब पाकिस्तान जाने वाली नदियों के पानी का अधिक से अधिक इस्तेमाल करेगा। लेकिन 'द हिंदू' की एक रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि अब मोदी सरकार इस मुद्दे पर अपना रुख नरम कर रही है।
 
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक इसी महीने पाकिस्तान के लाहौर में स्थायी सिंधु आयोग (परमानेंट इंडस कमीशन) की बैठक होने वाली है जिसमें भारत ने शामिल होने की अपनी स्वीकृति दे दी है।  समझा जाता है कि भारत को इसके लिए राजी करने में सबसे अहम भूमिका विश्व बैंक के अधिकारियों की रही है, जिन्होंने इस मामले में दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई। 
 
सूत्रों का कहना है कि इन अधिकारियों ने दो-तीन महीने की राजनयिक कवायद के बाद पहले तो पाकिस्तान को इस बात के लिए राजी किया कि वह भारत को इस बैठक में शामिल होने का न्यौता भेजे। इसके बाद उन्होंने भारत को भी यह निमंत्रण स्वीकार करने के लिए मनाया।
 
इस घटनाक्रम से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि विश्व बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) क्रिस्टलीना जॉर्जेवा जनवरी में इस्लामाबाद गई थीं। वहां उन्होंने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर भी बातचीत की थी। इसके बाद वे अभी एक मार्च को भारत यात्रा पर आईं और उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलकर इस मसले के विचार विमर्श को आगे बढ़ाया।
 
पिछले साल 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित सैन्य शिविर पर आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। इसमें सिंधु जल संधि पर बातचीत रद्द करने का फैसला हुआ था। उल्लेखनीय है कि उरी सैन्य शिविर पर हुए हमले में 19 भारतीय सैनिक मारे गए थे और इनमें काफी बड़ी संख्‍या ऐसे जवानों की थी जो‍ जीते जी जलकर खाक हो गए थे।
 
सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की प्रधानमंत्री की घोषणा के साथ ही केंद्र सरकार ने झेलम की सहायक किशनगंगा नदी पर 330 मेगावॉट की जलविद्युत परियोजना को भी हरी झंडी दे दी थी। जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में बन रही इस परियोजना की लागत 5,783 करोड़ रुपए है। इस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में यह मामला विचाराधीन है। 
 
इसके अलावा भारत सरकार ने चिनाब नदी पर 850 मेगावॉट की एक अन्य जलविद्युत परियोजना शुरू करने की भी घोषणा की है। करीब 6,400 करोड़ रुपए की यह परियोजना 2018 में शुरू हो सकती है और इसके तहत 195 लंबा और 133 मीटर ऊंचा कंक्रीट का बांध बनाए जाने की भी योजना है लेकिन पाकिस्तान को इस पर भी आपत्ति है जबकि भारत की ओर से हमेशा की तरह से बातचीत से मामला सुलझाने को वरीयता दी जा रही है। (वेबदुनिया)
Show comments

जरूर पढ़ें

ईरान को लेकर रूस ने अमेरिका को दी चेतावनी, पुतिन की चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से फोन पर बात, तीसरा विश्व युद्ध छिड़ने के कितने आसार

राजा रघुवंशी हत्‍याकांड में नई मिस्‍ट्री गर्ल की एंट्री, कौन है सोनम की नई राजदार, क्‍यों उलझ रही गुत्‍थी?

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले में चौंकाने वाला खुलासा, supreme court panel ने सौंपी रिपोर्ट, महाभियोग की सिफारिश

तत्काल टिकट के लिए 1 जुलाई से पहले लिंक करना होगा आधार, वरना नहीं होगी बुकिंग, जानिए कैसे करें

Tej Pratap Yadav का X पर पोस्ट- शुरुआत तुमने की, अंत मैं करूंगा, किसकी ओर इशारा

सभी देखें

नवीनतम

UP : नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म, मेला देखने गई थी लड़की, 4 आरोपी गिरफ्तार

Coronavirus : महाराष्ट्र में कोरोना के 59 नए मामले, 1 व्यक्ति की मौत

Air India Plane Crash : अब Black Box बताएगा हादसे का सुराग, AAIB तय करेगा कहां डिकोड किया जाए

व्हाइट हाउस ने कर दिया खुलासा, ईरान पर कब हमला करेंगे डोनाल्ड ट्रंप, नेतन्याहू बोले- सुरक्षित नहीं खामेनेई

Raja Raghuvanshi Murder Case : सोनम कर रही है गुमराह, उसे इंदौर लाया जाए, राजा रघुवंशी के भाई ने की मांग

अगला लेख