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फ्रांस में भारतीय वायुसेना दफ्तर में घुसपैठ की कोशिश, पुलिस कर रही है जांच

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, गुरुवार, 23 मई 2019 (10:06 IST)
नई दिल्ली। फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित भारतीय वायुसेना के उस दफ्तर में बीते रविवार को कुछ लोगों ने घुसपैठ की कोशिश की जो भारत के लिए 36 राफेल लड़ाकू विमानों के उत्पादन की निगरानी कर रहा है। सैन्य सूत्रों के मुताबिक, यह जासूसी का मामला हो सकता है।

उन्होंने बताया कि कुछ अज्ञात लोग पेरिस के उपनगरीय इलाके में भारतीय वायुसेना की राफेल परियोजना प्रबंधन टीम के दफ्तर में अवैध रूप से दाखिल हो गए। स्थानीय पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या विमान से जुड़े गोपनीय डेटा को चुराने की मंशा से यह घुसपैठ की कोशिश की गई।

एक सूत्र ने बताया, शुरुआती आकलन के मुताबिक, कोई डेटा या हार्डवेयर नहीं चुराया गया है। स्थानीय पुलिस घटना की जांच कर रही है। सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने इस घटना के बारे में रक्षा मंत्रालय को सूचित कर दिया है। पेरिस स्थित भारतीय दूतावास फ्रांस के अधिकारियों के संपर्क में है।

इस बीच, खबर है कि पेरिस के पास भारतीय सैन्यकर्मियों के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एक दफ्तर से दस्तावेज और पैसे चुराए गए हैं। एक फ्रांसीसी अभियोजक ने बुधवार को यह जानकारी दी। यह लूट फ्रांस की कंपनी दसाल्ट एविएशन के दफ्तरों के पास पेरिस के पश्चिम में स्थित उपनगरीय इलाके सेंट क्लाउड में शनिवार-रविवार की दरमियानी रात हुई।

स्थानीय अभियोजक कार्यालय के एक सूत्र ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। उसने पुष्टि की कि दफ्तर के एक सेफ से दस्तावेज और पैसे चुराए गए हैं। एक अलग पुलिस सूत्र ने बताया कि घटनास्थल को संवेदनशील करार दे दिया गया है और दसाल्ट एविएशन के एक कर्मी द्वारा सोमवार को सुरक्षा सेवाओं को अलर्ट कर दिया गया था।

राफेल परियोजना प्रबंधन का भारतीय वायुसेना का दफ्तर राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसाल्ट एविएशन के परिसर में स्थित है। रक्षा मंत्रालय या भारतीय वायुसेना की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों ने बताया कि राफेल विमानों के हथियार पैकेज या एवियोनिक्स से जुड़ा कोई भी डेटा चोरी होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

भारतीय वायुसेना की परियोजना प्रबंधन टीम की अध्यक्षता एक ग्रुप कैप्टन कर रहे हैं। इसमें दो पायलट, एक लॉजिस्टिक अधिकारी और कई हथियार विशेषज्ञ एवं इंजीनियर भी हैं। यह टीम राफेल विमानों के निर्माण और इसमें हथियारों के पैकेज के मुद्दे पर दसाल्ट एविएशन के साथ समन्वय कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद से वार्ता के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की थी।

करीब 56,000 करोड़ रुपए की लागत वाला अंतिम करार 23 सितंबर 2016 को हुआ था। कांग्रेस राफेल करार में बड़े पैमाने पर अनियमितता के आरोप लगाती रही है। वह दसाल्ट एविएशन के ऑफसेट पार्टनर के लिए अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस डिफेंस के चयन पर मोदी सरकार पर हमलावर रही है। मोदी सरकार ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया है।

भारत को पहला राफेल विमान इस साल सितंबर में मिलने की संभावना है। भारत की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए हवाई हमलों के कुछ हफ्ते बाद भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष बीएस धनोवा ने कहा कि यदि भारत के पास राफेल विमान होते तो नतीजे बेहतर हो सकते थे।

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