क्‍या विपक्ष की एकजुटता को पलीता लगा रहे हैं शरद पवार?

Webdunia
सोमवार, 10 अप्रैल 2023 (16:01 IST)
2024 में होने वाले लोकसभा के महासंग्राम के लिए राजनीतिक हमले और बयानबाजी तेज हो गई है। आरोप-प्रत्‍यारोप किए जा रहे हैं। ऐसे में भाजपा और मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्ष एकजुटता के भरसक प्रयास कर रहा है। हाल ही में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट से मानहानि के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद कई दल राहुल के साथ खडे नजर आए।

एक बार तो लगा कि विपक्ष ने भाजपा और मोदी के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा बनाने के लिए कमर कस ली है, लेकिन हाल ही में एनसीपी के शरद पवार के बयानों से ऐसा लग रहा है कि वे विपक्ष की एकजुटता को पलीता लगाने की तैयारी में हैं। बैक टू बैक जो बयान उनके आ रहे हैं उससे तो यही लगता है। उनके बयानों से विपक्ष की एकता को हालांकि जोरदार झटका लगा भी है। दरअसल, उनके राजनीतिक बयान कांग्रेस और कई दूसरे दलों से विपरीत है।

मोदी की डिग्री पर पवार का स्‍टैंड
हाल ही में दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जब पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल उठाए तो शरद पवार ने कहा था--- जब हम बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और महंगाई का सामना कर रहे हैं तो क्या देश में किसी की शैक्षणिक डिग्री राजनीतिक मुद्दा होनी चाहिए? आज धर्म और जाति के नाम पर लोगों में भेद पैदा किया जा रहा है। महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गई हैं। इन मुद्दों पर चर्चा आवश्यक है।

बता दें कि हाल ही में 30 मार्च को एक ट्वीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि क्या देश को यह जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके पीएम कितने शिक्षित हैं? वे कोर्ट में उसकी डिग्री दिखाने का विरोध कर रहे थे। क्यों? डिग्री देखने की मांग करने वालों पर लगेगा जुर्माना? एक अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा पीएम देश के लिए बहुत खतरनाक है। यह गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्रियों पर एक आरटीआई याचिका के लिए 25, हजार रुपए का जुर्माना लगाने के जवाब में था।

अडाणी पर पवार का बयान
गौतम अडाणी को लेकर कांग्रेस के राहुल गांधी और विपक्षी दल लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। एक तरह से विपक्ष ने मोदी सरकार को घेर रखा है। ऐसे में शरद पवार ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर की प्रमाणिकता पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने रिपोर्ट के आधार पर अडानी के कंपनियों पर उठे सवाल और उसकी जांच को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों द्वारा संसद में जेपीसी की मांग को ही खारिज कर दिया। ऐसे में सावल है कि आखिरकार विपक्षी एकता की बात करने वाले शरद पवार ने ऐसा बयान क्यों दिया?

क्‍या है शरद पवार की राजनीति?
बता दें कि शरद पवार राजनीति के बडे खिलाड़ी हैं, वे सोच समझकर ही बयान देते हैं, ऐसे में अगर उन्‍होंने ये बयान दिया है तो क्‍या यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे अपने लिए राजनीतिक अवसर का कोई दूसरा पहलू देख रहे हैं। दरअसल, सदन में 19 विपक्षी पार्टियों ने अडानी मुद्दे को जमकर उठाया भी और मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए। ऐसे में शरद पवार का यूं अलग स्टैंड लेना कई तरह के सवाल खड़ कर रहा है। इस समय एनसीपी विपक्ष की एक बड़ी पार्टी है, शरद पवार नेता हैं। ऐसे में उसकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है।Edited: By Navin Rangiyal

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