नई दिल्ली, अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत आज महाशक्ति बन चुका है। आज भारत अंतरिक्ष में किसी भारतीय को भेजने की तैयारियों में जुटा है। भारत, सौर मिशन और मंगल मिशन सहित कई अंतरिक्ष अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है।
ऐसे अंतरिक्ष अभियानों का उद्देश्य अंतरिक्ष में छुपे रहस्यों से पर्दा उठाना होता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपनी स्थापना के बाद से ही अंतरिक्ष के क्षेत्र में ऐसे कई विश्लेषण किए हैं जिससे भारत की शक्ति का लोहा पूरी दुनिया ने माना है।
हाल ही में भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को एक वेब इंटरफेस पर इकट्ठा करने के लिए एक कम्युनिटी सर्विस सेंटर की स्थापना की गई है जिससे इन आंकड़ों को तत्काल देखा जा सकें और वैज्ञानिक आयाम से उसका विश्लेषण किया जा सके। इस कम्युनिटी सर्विस सेंटर को आदित्य एल1 सपोर्ट सेल (एएल1एससी) नाम दिया गया है।
इस सर्विस सेंटर की स्थापना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (एआरआईईएस) के संयुक्त प्रयास से संभव हुआ है। इस केंद्र का उपयोग आंकड़ों के विश्लेषण और विज्ञान पर्यवेक्षण प्रस्ताव तैयार करने में किया जाएगा।
आदित्य एल1 सपोर्ट सेल (एएल1एससी) नामक इस कम्युनिटी सर्विस सेंटर की स्थापना आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (एआरआईईएस) के हल्द्वानी परिसर में किया गया है, जो इसरो के साथ संयुक्त रूप से काम करेगा ताकि भारत के पहले सौर मिशन आदित्य L1 से मिलने वाले सभी वैज्ञानिक आंकड़ों का अधिकतम विश्लेषण किया जा सके।
यह केंद्र आदित्य एल1 पेलोड टीम और खगोल जगत के अनुसंधान से जुड़े समुदाय के बीच एक ज्ञान वाहक तंत्र के रूप में काम करेगा। यह केंद्र शोधकर्ताओं के लिए विशेष उपकरण विकसित करने में उनकी सहायता करेगा और डेटा के रखरखाव के लिए आवश्यक विश्लेषण सॉफ्टवेयर के डिजाइन और विकास में इसरो की सहायता करेगा।
यह केंद्र दुनिया के खगोल विज्ञान से संबंधित शोधशालाओं से भी जुड़ेगा और उन्हें सौर मिशन से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराएगा जिससे शोधकर्ताओं को आदित्य एल1 की अपनी क्षमताओं से आगे का वैज्ञानिक लक्ष्य प्राप्त करने योग्य बनने में मदद मिल सके।
खगोल जगत के अनुसंधान से जुड़ी शोधशालाओं से प्राप्त होने वाले आंकड़े सूर्य से संबंधी ज्ञान का आधार तैयार करने में मददगार हो सकते हैं।
यह केंद्र राष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं को डेटा विश्लेषण और पर्यवेक्षण प्रस्ताव तैयार करने के उद्देश्य से पाक्षिक प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएगा। इसी क्रम में यह केंद्र भारत के विभिन्न स्थानों पर 2-3 दिवसीय छोटी-छोटी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यशालाओं का आयोजन ऐसे विश्वविद्यालयों में किया जाएगा जहां सौर मिशन से जुड़े आंकड़ों को डाउनलोड करने और उनका विश्लेषण करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा इस केंद्र के माध्यम से निरंतर ई-कार्यशाला और ऑनलाइन ज्ञान सामग्री उपलब्ध कराने की भी योजना है।
यह केंद्र आदित्य एल1 से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी सुलभ कराएगा ताकि इस मिशन की जानकारी और निषकर्ष अधिक से अधिक संख्या में लोगों तक पहुंच सकें। इसके साथ ही यह व्यक्ति को आंकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने की छूट भी देगा।