एक समय था जब जम्मू और कश्मीर से तकरीबन रोजाना बम धमाकों और विस्फोट की खबरें आती थीं। पिछले कुछ समय से वहां आतंक का लगभग खात्मा हो गया था। आतंकवादियों की कमर टूट गई है। न उनके पास हथियार हैं और न ही आतंकी बचे हैं।
ऐसे में अब बचे-खुचे कुछ आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए नया हथकंडा अपना लिया है। अब वे टारगेट किलिंग पर उतर आएं हैं। जो नया तरीका उन्होंने अपनाया है उसे टारगेट किलिंग कहा जा रहा है। आइए जानते हैं क्या होती है टारगेट किलिंग।
टारगेट किलिंग के जरिए घाटी में आतंकी आम लोगों को लगातार अपना निशाना बना रहे हैं। टारगेट किलिंग की वारदातों को अंजाम देने के लिए आतंकी नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं।
दरअसल, वारदात को अंजाम देने से पहले बाकायदा टारगेट की पूरी रेकी की जाती है, फिर मौका देखकर उसकी हत्या कर दी जाती है। पिछली कुछ घटनाओं में यही पैटर्न सामने आया है।
पहले रेकी करते हैं फिर हत्या
टारगेट किलिंग के तहत पहले कई दिनों तक सॉफ्ट टारगेट की गतिविधियों की रेकी कर उसके बारे में तमाम जानकारी जुटाई जाती है। उन्हें यह अच्छी तरह पता होता है कि वो कब घर से निकलता है और घर जाता है। पूरी प्लानिंग करने के बाद तय किया जाता है कि कब और किस समय हमला करना है।
जम्मू-कश्मीर में भी इसी पैटर्न के तहत गैर कश्मीरियों की हत्याएं की जा रही हैं। यहां अलग-अलग आतंकी हमलों में इस महीने 12 नागरिकों की जान जा चुकी है।
कश्मीर में पिछले शनिवार को दो निर्दोष नागरिकों की जान लेने के बाद रविवार को फिर दो गैर कश्मीरी नागरिकों को आतंकवादियों ने गोली मार दी। जिन्हें गोली मारी गई, वो सभी मजदूर थे। आतंकियों ने घर में घुसकर इस घटना को अंजाम दिया।
घाटी में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से आतंकी अब इस कदर बौखला गए हैं कि वो निहत्थे मजदूरों को निशाना बना रहे हैं। सेना का सामना करने में नाकाम आतंकियों ने फिर से टारगेट किलिंग शुरु कर दी है ताकि घाटी में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया जा सके। टारगेट किलिंग आतंकियों के लिए बहुत ही आसान होता है। इसके लिए बड़े जमात की न तो जरूरत है और न ही बड़े हथियारों की। कम लोग छोटे हथियारों की मदद से निहत्थे लोगों को निशाना बना सकते हैं।
टारगेट किलिंग की वारदातों को देखते हुए प्रशासन ने सभी गैर स्थानीय लोगों को पुलिस और सेना के कैंपों मे शिफ्ट करने का निर्णय लिया है।
आईजीपी कश्मीर की तरफ से एक इमरजेंसी एडवायजरी भी जारी की गई। जिसमें कहा गया कि सभी गैर स्थानीय लोगों को पुलिस और सेना कैंपो मे शिफ्ट किया जाएगा। आतंकियों द्वारा लगातार गैर स्थानीय लोगों को निशाना बनाए जाने के बाद यह निर्णय लिया गया है।