इसलिए कांग्रेस छोड़ी जयंती नटराजन ने

Webdunia
शुक्रवार, 30 जनवरी 2015 (17:07 IST)
चेन्नई। कांग्रेस को शुक्रवार को उस समय गहरा झटका लगा, जब पूर्व पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यालय पर वेदांता, अडानी तथा निरमा उद्योग समूह की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को पर्यावरण स्वीकृति नहीं देने का निर्देश देने तथा उनकी छवि को खराब करने के लिए एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान चलाने का गंभीर लगाते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।

नटराजन ने यहां यह घोषणा की तथा कहा कि उन्होंने पर्यावरण मंत्री के रूप में देश की सेवा की और उनके काम को लेकर कोई उन पर उंगली नहीं उठा सकता तथा मैंने पर्यावरण मंत्री के तौर पर कोई गलत काम नहीं किया और अगर कोई साबित कर दे कि उन्होंने गलत काम किया है तो वे इसकी सजा भुगतने को तैयार हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने परियोजनाओं को पर्यावरण मंजूरी देने के मामले में पार्टी के निर्देशों का अक्षरश: पालन किया। उन्होंने इस संवाददाता सम्मेलन में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र को भी जारी किया।

उन्होंने घोषणा की कि वे तत्काल पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हैं। नटराजन ने कहा कि वे कांग्रेस में अपने परिवार चौथी पीढ़ी की कार्यकर्ता हैं तथा मेरी रगों में कांग्रेस का खून बह रहा है और मैं हमेशा पार्टी और गांधी परिवार के प्रति समर्पित रही। यह कहने में मुझे कोई शर्म नहीं है, लेकिन यह मेरे लिए बहुत दुखद समय है।

उन्होंने कहा कि आज की कांग्रेस में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो गया है और यह वह पार्टी नहीं है, जो तीन दशक पहले थी। आज पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। यही वजह है कि मैं कांग्रेस के साथ अपने जुडाव पर पुनर्विचार के लिए विवश हुई।

उन्होंने कहा कि जब वे पर्यावरण मंत्री बनीं तो उन्हें बताया गया था कि पर्यावरण की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की भी नीति थी। लेकिन उन्हें राहुल गांधी के कार्यालय से कई बार बड़ी परियोजनाओं के बारे में निर्देश मिले। इसके साथ ही अनेक गैरसरकारी संगठनों के ज्ञापन और उनकी शिकायतें भी होती थीं जिसमें कई बड़ी परियोजनाओं से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का जिक्र होता था।

नटराजन ने कहा कि उन्होंने कई परियोजनाओं की जांच की और उन्हें रोक दिया। हालांकि मंत्रिमंडल में उनके अनेक सहयोगियों ने कहा कि इससे विकास की गति प्रभावित होगी लेकिन उन्होंने पार्टी के निर्देशों को तरजीह दी। जिन परियोजनाओं को रोका गया उनमें नियामगिरि, अडानी और निरमा की सीमेंट संयंत्र लगाने की परियोजना शामिल है। (वार्ता)
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