जेएनयू विवाद पर सियासत : राहुल बोले, आवाज दबाने वाले देशद्रोही

Webdunia
रविवार, 14 फ़रवरी 2016 (08:42 IST)
नई दिल्ली। जेएनयू विवाद अब भाजपा और उसके वामपंथी विरोधियों के बीच विचारधारा की लड़ाई बन गया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने वामपंथी पार्टियों के समर्थन में उतरते हुए मोदी सरकार की तुलना हिटलर के शासनकाल से की। उन्होंने कहा कि आवाज दबाने वाले देशद्रोही है।
 
भाकपा की छात्र शाखा एआईएसएफ के सदस्य और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी ने पूरे मामले को दो खेमों में बांट दिया है। इस बीच, सरकार ने ऐलान किया है कि जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी को देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा।
 
केंद्र में सत्ताधारी भाजपा ने राहुल पर हमला करते हुए कहा कि वह और उनके साथी लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी हाफिज सईद की जुबान में बोल रहे हैं जिसने जेएनयू में हुए भारत विरोधी कार्यक्रम के समर्थन में ट्वीट किया था।
 
संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू को हुई फांसी के विरोध में जेएनयू परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कन्हैया की रिहाई के लिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने धमकी दी है कि यदि छात्र नेता को रिहा नहीं किया जाता है तो वह सोमवार से हड़ताल करेंगे।
 
वामपंथी नेताओं के समर्थन में उतरे राहुल ने जेएनयू परिसर जाकर छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े देशद्रोही ऐसे लोग हैं जो इस संस्थान में छात्रों की आवाज दबा रहे हैं।
 
आरएसएस-भाजपा की छात्र शाखा एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने राहुल को काले झंडे दिखाए और बार-बार उनके भाषण में बाधा डाली। इस दौरान राहुल ने कई बार हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमुला की खुदकुशी का जिक्र किया और इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला।
 
राहुल ने कहा, 'इस संस्थान की आवाज को दबाने वाले देशद्रोही हैं। वे नौजवानों की आवाज को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले मैं हैदराबाद में था और इन्हीं लोगों या इनके नेताओं ने कहा था कि रोहित वेमुला देशद्रोही था।'
 
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि जर्मनी में हिटलर नाम का एक शख्स था जिसने लाखों लोगों की हत्या करा दी थी। यदि उस शख्स ने दूसरों की बात सुनी होती, तो हो सकता था कि वह देश इतने दर्द से न गुजरा होता। राहुल के इस बयान पर जेएनयू के वामपंथी छात्रों ने खूब तालियां बजाईं। 
 
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि जेएनयू को देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा नहीं बनने दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं हो सकती और इस पर तर्कपूर्ण बंदिश होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। लेकिन वे छोटे बच्चे नहीं हैं जो यह नहीं जानते हों कि वे क्या कर रहे हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर आप देश को गाली नहीं दे सकते।
 
इस बीच, इसरो के पूर्व प्रमुख और जेएनयू के चांसलर के. कस्तूरीरंगन ने यूनिवर्सिटी परिसर का दौरा किया और हालात का जायजा लिया। इस बीच, जेएनयू के चार डीनों ने कुलपति जगदीश कुमार को पत्र लिखकर यूनिवर्सिटी की ओर से परिसर में पुलिस को दमनात्मक कार्रवाई करने की इजाजत देने’’ के तौर-तरीकों पर अपना विरोध जताया।
 
इससे पहले, यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त कर चुके पूर्व सैनिकों के एक बैच ने अपनी डिग्रियां लौटाने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि एक ऐसी यूनिवर्सिटी से खुद को जोड़ना उन्हें मुश्किल लग रहा है जो देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा बन गया है।
 
इस बीच, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस मुद्दे पर यूनिवर्सिटी से एक स्थिति रिपोर्ट तलब की है। बहरहाल, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कहा कि उसे अब तक ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है।
 
सुबह के वक्त माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा और जदयू महासचिव के सी त्यागी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ से यहां मुलाकात कर कन्हैया की तुरंत रिहाई की मांग की।
 
राजनाथ से मुलाकात के बाद येचुरी ने कहा, 'हमने गृह मंत्री से मुलाकात की और उन्हें जेएनयू के मौजूदा माहौल से अवगत कराया। दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम के सिलसिले में 20 छात्रों की एक सूची जारी की है जिसमें डी राजा की बेटी का भी नाम है। लेकिन हमारा सवाल है कि क्या उन्हें वीडियो में नारेबाजी करते देखा गया? (भाषा)
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