कावड़ यात्रा में गुंडों का सितम...हजारों की आस्था पर भारी कुछ लोगों की 'गुंडागर्दी'

Webdunia
बुधवार, 8 अगस्त 2018 (22:23 IST)
नई दिल्ली। दिल्ली के मोती नगर इलाके में 'आस्था' के नाम पर कुछ कांवड़ियों की गुंड़ागर्दी देखने को मिली है। इस घटना को जिसने भी देखा, उसके रोंगटे खड़े हो गए। पुलिस के मुताबिक, मोती नगर इलाके में एक कावड़िए को हल्की सी गाड़ी टच हो गई। इस पर कावड़ियों ने गाड़ी में जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, कांवड़ियों की भीड़ ने एक के बाद एक कार पर बेसबॉल के स्लेगर बरसाकर उसे तहस-नहस कर डाला। 
 
बताया जा रहा है कि जिस वक्त कावड़िए गाड़ी पर हमला कर रहे थे, उस वक्त गाड़ी में एक लड़का और लड़की मौजूद थे। कावड़ियों के हमले के बाद किसी तरह मुश्किल से दोनों लोग बाहर आ सके। जब कार में तोड़फोड़ के बाद भी कावड़ियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो, उन्होंने इसे पलट दिया।
 
इससे पहले भी कई बार 'कावंड यात्रा' में शामिल कुछ लोगों के उत्पात की वजह से शिवभक्तों की आस्था पर सवाल उठते रहे हैं। तेज आवाज में डीजे बजाना, सड़कों पर नाचना गाना, आस्‍था के नाम पर अपनी सीमा लांघ जाना तो सामान्य बात है।  
 
क्या है कांवड़ यात्रा : हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवडिये सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर नंगे पैर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं। इस यात्रा को 'कांवड़ यात्रा' बोला जाता है। श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है। 
 
लगातार बढ़ रही है कांवड़ यात्रा की लोकप्रियता : पिछले दो दशकों से कावड़ यात्रा की लोकप्रियता बढ़ी है और अब समाज का उच्च एवं शिक्षित वर्ग भी कावड़ यात्रा में शामिल होने लगा है। कई बार इस धार्मिक यात्रा में असामाजिक तत्व भी घुस जाते हैं। 
 
कांवड़ यात्रियों को क्यों आता है गुस्सा : अपनी ही मस्ती में नाचते गाते भगवान शिव की आराधना करते कांवड़ यात्रियों को उस समय गुस्सा आता है, जब उनके किसी साथी के साथ कोई हादसा हो जाता है। कांवड़ यात्री किसी अन्य व्यक्ति को परेशान नहीं करते हैं बल्कि यह यात्रा तो शांति और सद्भाव का प्रतिक है। 
 
अकसर इस तरह की खबरें आती है कि तेज रफ्तार वाहन कांवड़ यात्रियों को कुचलकर भाग जाते हैं। कभी यह सुनाई देता है कि कांवड़ यात्रियों पर किसी ने हमला कर दिया। उनकी इस हरकत का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।
 
दिल्ली से हरिद्वार तक इन दिनों सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में कांवड़िए ही कांवड़िए नजर आते हैं। कई बार कानफोडू डीजे की आवाज से सड़क यात्री बा‍धित होते हैं लेकिन इनकी गुंडागर्दी रोकने में पुलिस भी नाकाम दिखाई देती है। यहां पर यातायात व्यवस्था बुरी तरह फेल होती दिखाई दे रही है।
 
मुठ्ठीभर लोग मचाते हैं हुड़दंग : ऐसी बात नहीं कि सभी कांवड़िए हुड़दंग मचाते हैं, जबकि असलियत तो यह है कि मुठ्‍ठी भर गुंडे किस्म के लोग खुद को शिवभक्त कहलाकर कांवड़ यात्री का भेष धारण कर लेते हैं। किसी के हाथ में बेसबॉल के स्लेगर होते हैं तो किसी के हाथ में हॉकी...चंद गुंडातत्व देश के हजारों कांवड़ियों को बदनाम करने की कोशिश कर रहें, जिन्हें रोकने के लिए पुलिस भी असहाय है। ऐसे ही लोगों ने इस पवित्र यात्रा को बदनाम कर डाला है। 
 
हरिद्वार में नशे का कारोबार : कांवड़ यात्रा के कुछ नियम होते हैं जिनका करीब करीब सभी पालन करते हैं लेकिन मुठ्‍ठी भर ऐसे लोग भी हैं जो इनका पालन नहीं करते। नियम यह है कि कावड़ यात्रा के दौरान किसी तरह का नशा, मांसाहार निषेध है और यह यात्रा नंगे पैर ही की जाती है। खबरों के अनुसार हरिद्वार में कुछ कांवड़िए नशा करते हैं और श्रावण के महीने में नशे का कारोबार 30 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है।
 
नशा करने वाले कांवड़िए के भेष में कुछ लोगों ने कैमरे के सामने यह कहा कि नशा करने से उन्हें थकान महसूस नहीं होती जबकि सच्चे कांवड़िए नशे से कोसो दूर रहते हैं। वे भगवान शिव की आस्था में ऐसे डूब जाते हैं कि उन्हें अपने पैरों में पड़ गए छालों से भी दर्द का अहसास नहीं होता।
 
असल में धर्म के नाम पर कुछ लोग जो गुंडागर्दी कर रहे हैं, उन्हें सबसे पहले रोकना होगा क्योंकि इससे सच्चे शिव भक्तों की आस्था बदनाम हो रही है। भगवान शिव जहर पीना सिखलाते हैं, कहर करना नहीं... 
 

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