फादर्स डे पर डॉ. हर्षवर्धन ने लांच की कृष्णा सक्सेना की किताब 'My Joys and Sorrows'

Webdunia
रविवार, 20 जून 2021 (19:26 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज वरिष्ठ लेखिका डॉ. कृष्णा सक्सेना की नई किताब 'My Joys and Sorrows' का विमोचन किया। किताब एक स्पेशल चाइल्ड की मां के बलिदान और उसके साहस पर लिखी गई है।

'फादर्स डे' पर किताब लांच करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, मुझे उम्मीद है कि माताओं के साथ यह किताब पिता भी पढ़ेंगे, जिससे वे बच्चों की परवरिश के साथ-साथ पूरी पीढ़ी की परवरिश करने के बारे में भी जान सकेंगे। यह पुस्तक भारतीय मातृत्व की सर्वोत्तम परंपरा और एक मां की बहादुरी और सहनशक्ति का प्रतीक है। देश की तरह ऐसी माताओं को भी हमें नमन करना चाहिए।

किताब दिल को छू लेने वाली और दिल दहला देने वाली है। किताब का हर पन्ना भावुक करने वाला और आंखें नम करने वाला है। हर रोज कैसे एक भारतीय मां अपनी वीरता और बलिदान से देश की पीढ़ियों की रक्षा करने में सर्वस्व न्यौछावर कर देती है, यह पुस्तक इसी बात का एहसास कराती है।

सामान्य मां के जीवन को हल्के में लेने वाले लोगों के लिए भी यह आंखें खोलने वाला है। किताब पढ़ना एक आध्यात्मिक अनुभव सरीखा है। पुस्तक को बातचीत के अंदाज में और आसान शैली में लिखा गया है। पाठक बेहद नजदीक से लेखक की जीवन यात्रा में महसूस कर सकता है।
ALSO READ: IT के नए नियमों पर भारत ने UN को दिया जवाब, आखिर क्यों करना पड़ा बदलाव?
पेशे से शिक्षक रहीं डॉ. कृष्णा सक्सेना ने यह किताब अपनी और अपने बेटे शिव की आत्मकथा के रूप में लिखी है। शिव विकलांग (differently abled) हैं  और अपनी कहानी स्वयं नहीं लिख सकते। पुस्तक का हर अध्याय उनके बेटे के जीवन के अद्भुत क्षणों को जीता है।

यह कहानी उसी क्षण से शुरू हो जाती है, जब परिवार को पहली बार पता चलता है कि शिव किसी अन्य बच्चे की तरह नहीं है। सबका जीवन बदल जाता है लेकिन सबसे बढ़कर एक मां का जीवन बदलता है। अपने बेटे शिव के बड़े होने की कहानी को लेखक ने बेहतरीन तरीके से समेटा है।
ALSO READ: चिराग पासवान ने दिखाया दम, बिहार में 5 जुलाई से करेंगे शक्ति प्रदर्शन
लखनऊ विश्वविद्यालय से 1955 में पीएचडी की डिग्री लेने वाली पहली महिला का सम्मान पाने वाली डॉ. कृष्णा सक्सेना कहती हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं शिव के साथ अपने जीवन के बारे में लिख सकती हूं। लेकिन उम्र के साथ मुझे एहसास हुआ कि एक ऐसे बच्चे को आवाज देना भी मेरी जिम्मेदारी है, जिसकी अपनी कोई आवाज नहीं है और उसकी आवाज मेरी अपनी आवाज से इतनी उलझी हुई है कि यह किताब दो लोगों की एक आत्मकथा के रूप में सामने आई है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

फाइटर जेट्स की डिलीवरी में देरी पर एयरचीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह क्यों हुए चिंतित, किस बात को लेकर जताई निराशा

LLB की पढ़ाई करना चाहती है कातिल मुस्कान, वकील बनकर लड़ेगी खुद का मुकदमा, जेल प्रशासन को लिखा पत्र

POK कब बनेगा भारत का हिस्सा, जानिए सटीक भविष्यवाणी

ड्रोन, स्‍नीफर डॉग फिर भी नहीं ढूंढ पा रही मेघालय पुलिस, रहस्‍यमयी तरीके से कहां गायब हुआ इंदौरी कपल?

किसने डिजाइन किया है 'ऑपरेशन सिंदूर' का logo? सेना ने बताए किसके नाम और क्या है लोगो का संदेश

सभी देखें

नवीनतम

UP: मोबाइल फोन की रोशनी में हुआ 4 महिलाओं का प्रसव, जांच के आदेश

भोपाल की सड़कों पर उतरीं नारी शक्ति, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अहिल्या वाहिनी को दिखाई हरी झंडी

भाजपा नेता संबित पात्रा बोले, 'जय पाकिस्तान यात्रा' जैसी लग रही है कांग्रेस की 'जय हिंद यात्रा'

कल से इंदौर में जुड़ेगा मेट्रो रेल का नया अध्‍याय, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन, जानिए कैसी होगी आपके इंदौर की मेट्रो

पुंछ में अमित शाह ने भरी हुंकार, भारत को नुकसान पहुंचाने वालों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब

अगला लेख