नए लेबर कोड से कैसे बदलेगा कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर?
नए लेबर कोड लागू, ESIC और ग्रेच्युटी बढ़ने से प्रभावित होगी टेक होम सैलरी
Labour Code news in hindi : भारत सरकार ने शुक्रवार को चार श्रम संहिताओं को लागू कर दिया। इसका मुख्य उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल बनाना, श्रमिकों को बेहतर वेतन, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करना है। इसके तहत कर्मचारियों को ग्रेच्युटी, ईएसआईसी, समय पर वेतन, महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन जैसे कई फायदे होंगे। हालांकि इससे नौकरीपेशा के सैलरी स्ट्रक्चर में भी बदलाव होगा और उनकी टेक होम सैलरी घट सकती है।
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नया लेबर कोड लागू होने से कर्मचारियों की सैलरी का कम से कम 50% हिस्सा बेसिक सैलरी होगा। यह नियम 'कोड ऑन वेजेज' के तहत लागू हुआ है। पीएफ और ग्रेच्युटी की गणना बेसिक सैलरी के आधार पर होती है। जब बेसिक सैलरी बढ़ेगी, तो कर्मचारी और कंपनी, दोनों का ही पीएफ और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ जाएगा।
इससे कर्मचारियों की रिटायरमेंट के लिए जमा होने वाली रकम तो बढ़ेगी, लेकिन हाथ में आने वाली सैलरी थोड़ी कम हो सकती है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि कुल सैलरी (CTC) तो उतनी ही रहेगी। लेकिन सीटीसी में से पीएफ और ग्रेच्युटी का हिस्सा बढ़ जाएगा।
सरकार ने भले ही लेबर कोड लागू कर दिया हो लेकिन इसके नियम अगले 45 दिनों में बताएगी। इसके बाद कंपनियों को अपनी सैलरी स्ट्रक्चर को इन नियमों के हिसाब से बदलना होगा।
दावा किया जा रहा है कि यह नियम इसलिए लाया गया है ताकि कंपनियां जानबूझकर बेसिक सैलरी कम न रखें और अलाउंस (भत्ते) बढ़ाकर पीएफ और ग्रेच्युटी में अपना योगदान कम न कर सकें। अभी पीएफ का 12% हिस्सा बेसिक सैलरी पर कटता है। ग्रेच्युटी की रकम भी आखिरी बेसिक सैलरी और कंपनी में काम करने के सालों पर निर्भर करती है।
edited by : Nrapendra Gupta