Roundup : शांत-सुंदर Lakshadweep में जानिए क्यों उठा है 'सियासी ज्वार'

Webdunia
सोमवार, 7 जून 2021 (12:07 IST)
अरब सागर में बसे सुंदर लक्षद्वीप में इन दिनों सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्षी दल इस शांत द्वीप पर आए सियासी तूफान के लिए मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। लक्षद्वीप 36 द्वीपों का एक समूह है। यह भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित राज्य है। इसे भारत का मालदीव भी कहा जाता है, क्योंकि यहां सुंदर, मनोहारी और सूरज से चमकते समुद्र तट हैं। साथ में यहां हरे-भरे प्राकृतिक नजारे भी देखने को मिलते हैं। लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती है। लक्षद्वीप की आबादी करीब 75 से 80 हजार है। इनमें करीब 96 फीसदी मुस्लिम है। सांस्कृतिक तौर पर केरल के नजदीक है और इसे रणनीतिक तौर पर भारत के लिए बेहद महत्पूर्ण माना जाता है।
 ताजा विवाद के पीछे आखिर क्या है पूरा मामला, आइए जानते हैं...  
 
मोदी के करीबी हैं विवादों के जनक : गुजरात के पूर्व मंत्री प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को दिसंबर 2020 में लक्षद्वीप का प्रशासक बनाया गया था। प्रफुल्ल पटेल को नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। गुजरात में मोदी के मुख्यमंत्री रहते पटेल उनकी सरकार में गृह राज्यमंत्री रहे। तत्कालीन प्रशासक दिनेश्वर शर्मा के निधन बाद उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दिनेश्वर शर्मा इस द्वीपसमूह के 34वें प्रशासक नियुक्त किए गए थे। 2020 में फेफड़ों की समस्या के चलते उनका निधन हो गया था। प्रफुल्ल खोड़ा पटेल विवादित शख्सियत के रूप में जाने जाते रहे हैं। इससे पहले भी वे कई बार विवादों में आ चुके हैं।
 
क्यों आया सियासी ज्वार : लक्षद्वीप में सियासी ज्वार आने के पीछे यहां का नया मसौदा है। इसे लेकरलक्षद्वीपवासियों में कई आशंकाएं हैं। इसके चलते लोगों का गुस्सा भी बढ़ने लगा है। विपक्षी राजनीतिक दल भी इन कानूनों को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं। देशभर में विपक्षी दल के नेता लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल को हटाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए तमाम विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र भी लिखा है। विरोधी इसे लक्षद्वीप की संस्कृति में अनावश्यक सरकारी दखल और आरएसएस एजेंडे को लागू करने का आरोप लगा रहे हैं। आम जनता भी इन सभी कानूनों को वापस लेने की मांग कर रही है।
 
क्या हैं प्रावधान : जिन प्रावधानों को लेकर लक्षद्वीप में विरोध के स्वर बुलंद हुए हैं। इनमें पहला है- लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021। इस मसौदे में प्रशासक को विकास के उद्देश्य से किसी भी संपत्ति को जब्त करने और उसके मालिकों को स्थानांतरित करने या हटाने की अनुमति होगी। मसौदे को इस साल जनवरी में पेश किया गया था।
दूसरा मसौदा है- असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम के लिए प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टीविटीज 
(PASA) एक्ट। इसके तहत किसी भी व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से गिरफ्तारी का खुलासा किए बिना सरकार द्वारा उसे एक साल तक हिरासत में रखने की अनुमति होगी।
 
तीसरा मसौदा : यह पंचायत चुनाव अधिसूचना से जुड़ा हुआ है। इसके तहत जिन लोगों की 2 से ज्यादा संतानें हैं उन्हें पंचायत चुनाव की उम्मीदवारी से बाहर किया जा सकता है। ऐसे लोगों को पंचायत चुनाव लड़ने 
की इजाजत नहीं होगी। 
 
चौथा मसौदा : लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन। इस मसौदे के तहत स्कूलों में मांसाहारी भोजन परोसने पर प्रतिबंध और गोमांस की बिक्री, खरीद या खपत पर रोक का प्रस्ताव है।
 
पांचवां मसौदा : शराब पर प्रतिबंध हटाना। इसके तहत शराब सेवन पर रोक हटाई गई है। बताया जाता है कि अभी इस द्वीप समूह के केवल बंगरम द्वीप में ही शराब मिलती है, मगर वहां कोई स्थानीय आबादी नहीं है। ऐसे में अब द्वीप के कई अंचलों से शराब पर प्रतिबंध हटाया गया है।
 
क्यों डरे हुए हैं लोग : इन प्रावधानों से यहां के लोग डर हुए हैं। खासकर लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण  विनियमन 2021 से खौफ है तो लक्षद्वीप डेवलपमेंट अथॉरिटी रेगुलेशन (असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक, 2021) को लेकर गुस्सा है। यहां के निवासियों में डर है कि इन कानूनों से आने वाले समय में उनकी जमीनें छीनी जा सकती हैं, जबकि नए कानूनों के विरोध में खड़े होने वाले लोगों को चुप कराने के लिए यह अधिनियम (असामाजिक गतिविधि विनियमन विधेयक, 202) लाया जा रहा है। यह भी आरोप सरकार ने निर्वाचित जिला पंचायत की स्थानीय प्रशासनिक शक्तियों का नियंत्रण भी अपने हाथ में ले लिया है। नया प्रस्ताव पंचायत नियमों में भी बदलाव लाएगा और दो से अधिक बच्चों वाले किसी भी व्यक्ति को पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बना देगा।
 
ऐतिहासिक संस्कृति मिटाने का आरोप : गोमांस पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का भी विरोध किया जा रहा है। इसके पीछे भी एक कारण है, क्योंकि द्वीपसमूह की लगभग 96 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और बीफ ही इनका मुख्य भोजन है। फिर भी मिड डे मील को शुद्ध शाकाहारी कर दिया गया है। आरोप है कि प्रशासक इन कानूनों के जरिए लक्षद्वीप की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।
 
विपक्षी दल कर रहे हैं विरोध : इन प्रावधानों के खिलाफ लक्षद्वीप में शुरू हुआ विरोध देश की मुख्य भूमि तक पहुंच गया है। कांग्रेस, एनसीपी और माकपा समेत तमाम विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को खत लिखकर प्रशासन प्रफुल्ल को हटाने की मांग की है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लक्षद्वीप की जनता के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए विधानसभा में भी प्रस्ताव पेश कर दिया। राहुल गांधी ने मोदी सरकार निशाना साधते हुए कहा कि सागर में लक्षद्वीप भारत का आभूषण है, सत्ता में बैठे अज्ञानी कट्टरपंथी इसे नष्ट कर रहे हैं।
 
दो धड़ों में बंटी भाजपा : प्रशासक के फैसलों को लेकर भाजपा दो धड़ों में बंट गई है। लक्षद्वीप भाजपा इकाई के 8 नेताओं ने प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के हालिया फैसलों के विरोध में पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इन्होंने प्रशासक को तानाशाह बताया है।

इस्तीफा देने वाले नेताओं का मानना है कि लक्षद्वीप प्रशासक का फैसला मनमाना है और इससे केंद्र शासित प्रदेश की संस्कृति और शांति बर्बाद हो जाएगी। इन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। भाजपा की लक्षद्वीप इकाई के अध्यक्ष अब्दुल खादर प्रशासक हाजी पटेल का समर्थन करते हैं, जबकि महासचिव मोहम्मद कासिम प्रशासक को निरंकुश बता रहे हैं।
 
क्या कहना है भाजपा का : विपक्षी दलों के विरोध पर भाजपा का कहना है कि विपक्षी नेता प्रशासक पटेल का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने द्वीपसमूह में नेताओं के ‘भ्रष्ट चलन’ को खत्म करने के लिए कुछ खास कदम उठाए हैं।

क्या मोदी सुनेंगे नौकरशाहों की बात? : देश के 93 नामचीन पूर्व नौकरशाहों ने लक्षद्वीप मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इनमें सी बालाचंद्रन, वजाहत हबीबुल्लाह, हर्ष मंदर, शिव शंकर मेनन और जूलियो रिबेरो आदि शामिल हैं। पत्र में प्रधानमंत्री से अपील की गई है कि वे इन प्रावधानों को रद्द करें। पूर्व नौकरशाहों ने लिखा है कि लक्षद्वीप की विरासत मातृवंशीय, समानाधिकारवादी और जातीय तौर पर केरल से मिलती-जुलती है।
 
भूख हड़ताल से विरोध : लक्षद्वीप के निवासी पर्यटन, मवेशी और पंचायत चुनावों को नियंत्रित करने वाले प्रस्तावित नियमों के विरोध में सोमवार को 12 घंटे की भूख हड़ताल पर हैं। स्थानीय निवासी अपने घरों में उपवास करेंगे और द्वीपसमूह में पहले बड़े विरोध के दौरान आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी दुकानें और प्रतिष्ठान सुबह 6 से शाम 6 बजे तक बंद रहेंगे।

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