नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में महीनेभर से जारी सीमा गतिरोध को हल करने के अपने पहले बड़े प्रयास के तहत भारत और चीन की सेनाएं शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय बातचीत करेंगी।
हालांकि दोनों सेनाएं ऊंचाई वाले क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में आक्रामक मुद्रा में बनी हुई हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे।
सिंह लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला कमांडर करेंगे। यह बातचीत पूर्वी लद्दाख के चुशूल सेक्टर में, मालदो में सीमा कर्मी बैठक स्थान पर सुबह करीब आठ बजे से होगी।
सूत्रों ने कहा कि भारत को बैठक से किसी ठोस नतीजे की उम्मीद नहीं है लेकिन वह इसे महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि उच्चस्तरीय सैन्य संवाद गतिरोध के हल के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 12 दौर की तथा मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला।
उम्मीद है कि शनिवार की बैठक में भारतीय पक्ष पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में यथास्थिति बहाल रखने पर जोर देगा ताकि पांच मई को दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीन द्वारा बनाए गए अस्थाई शिविरों को हटाते हुए तनाव में धीरे-धीरे कमी लाई जा सके।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल, अप्रैल 2018 में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पहले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में लिए गए निर्णयों के अनुरूप, दोनों सेनाओं द्वारा जारी रणनीतिक दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन पर जोर देगा।
समझा जाता है कि दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने के लिए राजनयिक स्तर पर भी प्रयासरत हैं। 2017 के डोकलाम प्रकरण के बाद दोनों पक्षों के बीच यह सबसे गंभीर सैन्य गतिरोध है। पिछले महीने गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाएगी।
समझा जाता है कि चीन पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में लगभग 2,500 सैनिकों को तैनात करने के अलावा धीरे-धीरे अस्थाई बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और हथियारों की तैनाती बढ़ा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उपग्रह द्वारा लिए गए चित्रों से चीन द्वारा अपनी ओर रक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को विकसित करने की जानकारी मिली है।
उन्होंने कहा कि चीन ने उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे कुछ क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जिसके बाद भारत भी अतिरिक्त सैनिकों को भेजकर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच लगभग चार सप्ताह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी चली आ रही है।
दोनों देशों के सैनिक गत पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में लोहे की छड़ और लाठी-डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे। उनके बीच पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। पांच मई की शाम को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हुई यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए।
बहरहाल, गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास लगभग 150 भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए। इससे पहले 2017 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच डोकलाम में आमना-सामना हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका बढ़ गई थी। भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा है।(भाषा)