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लोकसभा ने दी खान और खनिज संशोधन विधेयक को मंजूरी

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, शुक्रवार, 19 मार्च 2021 (16:41 IST)
नई दिल्ली। लोकसभा ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2021 को शुक्रवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसका मकसद खदानों की नीलामी एवं आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना एवं कारोबार के अनुकूल माहौल तैयार करना है।

निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए खान एवं खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि खान और खनन में केंद्र सरकार, राज्यों का कोई अधिकार नहीं लेना चाहती है और इस संबंध में सभी पैसा राज्यों को ही जाएगा।

उन्होंने कहा कि हमारे सामने उदाहरण है कि सौ से अधिक खान राज्यों को दी गईं लेकिन पांच खानों की ही नीलामी हुई। जोशी ने कहा, अगर नीलामी नहीं हुई तब क्या ऐसे ही रहने दें? उन्होंने कहा कि इसका मकसद खदानों की नीलामी एवं आवंटन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना एवं कारोबार के अनुकूल माहौल तैयार करना है।

जोशी ने कहा कि जिन राज्यों में भी प्रगतिशील सरकारें हैं, उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस विधेयक का समर्थन किया है। मंत्री ने कहा कि भारत में कोयले का चौथा सबसे बड़ा भंडार है लेकिन हम कोयले का आयात कर रहे हैं, क्या यह ठीक है।

उन्होंने कहा, कानून में जो सुधार लाया जा रहा है, उससे आयात खत्म करने में मदद मिलेगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी। मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।

इससे पहले विधेयक चर्चा के लिए रखते हुए खान एवं खनन मंत्री जोशी ने कहा कि राजग सरकार से पहले की सरकारों में कोयला खदान आवंटन में कितना भ्रष्टाचार होता था, कितने घोटाले हुए, यह सब जानते हैं। उन्होंने कहा, अब हमने इसे बदलकर प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी कर दिया।

उन्होंने कहा कि इससे राज्यों के खजानों को बढ़ाने में योगदान होगा। जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघीय ढांचे में भरोसा करते हैं इसलिए 2015 में केंद्र ने राज्यों को अधिकार दिए और अब राज्य बिना केंद्र की पूर्व मंजूरी के खानों की नीलामी, आवंटन कर सकते हैं।

गौरतलब है कि इस विधेयक के जरिए खनन क्षेत्र में सुधारों के प्रस्ताव को मंजूरी के साथ ही खदानों से जुड़े अतीत के मुद्दों को भी हल किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप नीलामी के लिए अधिक खदानें उपलब्ध हो सकेंगी। ऐसे में अधिक से अधिक खदानों का आवंटन नीलामी के जरिए होगा और व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी।

इन सुधारों में कैप्टिव और गैर-कैप्टिव खदानों के बीच अंतर को दूर करना और विभिन्न सांविधिक भुगतानों के लिए एक राष्ट्रीय खनिज सूचकांक (एनएमआई) की स्थापना कर सूचकांक आधारित व्यवस्था की शुरुआत करना शामिल है।(भाषा)

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