नई दिल्ली। 2019 देश में होने जा रहे आम चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और मतदान पर्ची मशीन (वीवीपैट) के शत-प्रतिशत आवंटन को सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग जल्द ही ईवीएम प्रबंधन सॉफ्टवेयर लाने जा रहा है।
आयोग ने कहा गया कि प्रारंभिक जांच और जिला अधिकारियों के प्रशिक्षण को अनिवार्य किया गया है ताकि 2019 के आम चुनावों में सभी लगभग 10.6 लाख मतदान केन्द्रों में शत-प्रतिशत वीवीपैट मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
ईवीएम वीवीपैट को ट्रैक करने के लिए एक जबरदस्त प्रणाली लाई जा रही है जो मशीन के प्रत्येक ऑपरेशन, प्रारंभिक जांच, चुनाव में आने वाली त्रुटियों आदि पर पूरी निगाह रखेगी। प्रयोग में आसान इस सॉफ्टेवेयर का पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में अजमेर, इंदौर, दुर्ग, एजल और महबूबनगर में पायलट आधार पर परीक्षण किया जाएगा।
आयोग ईवीएम और वीवीपैट के विनिर्माण एवं आपूर्ति की स्थिति पर निरंतर निगाह रखे हुए है। करीब 22.3 लाख बैलट यूनिट, 16.3 लाख कंट्रोल यूनिय और 17.3 वीवीपैट की आम चुनावों में जरूरत होगी। मशीनों की इस संख्या में प्रशिक्षण के लिए बफर स्टॉक में रखी जाने वाली मशीनें शामिल हैं। अभी तक वीवीपैट का 933 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और 18 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में उपयोग किया गया है।
7 राज्यों- गोवा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में शत प्रतिशत सीटों एवं शत-प्रतिशत मतदान केन्द्रों में वीवीपैट का प्रयोग किया गया था। ईवीएम और वीवीपैट का विनिर्माण सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स निगम लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति के तहत और चुनाव आयोग की निगरानी में किया जाता है। इस प्रकार से ये मशीनें किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका से मुक्त हैं।