मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी संकट अब कानूनी लड़ाई में तब्दिल हो चुका है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ही गुट शिवसेना और बाला साहेब पर अपना हक जता रहे हैं। मामले से जुड़ी हर जानकारी...
- महाराष्ट्र में सियासी संकट जारी है। इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यहां 40 विधायकों की बॉडी आएगी। उसे डायरेक्ट पोस्टमार्टम के लिए विधानसभा भेजा जाएगा।
- दिल्ली पहुंचे शरद पवार : इस बीच शरद पवार ने दिल्ली पहुंचने पर कहा कि हम यहां किसी से नहीं मिलेंगे, हमारी मीटिंग है। उन्होंने कहा कि हम यहां यशवंत सिंन्हा के नॉमिनेशन के लिए आए हैं। शरद पवार संजय राउत (Sanjay Raut) के बयान पर प्रतिक्रिया देने से बचते दिखे।
-आदित्य ठाकरे का बागियों पर हमला, डर कर भागे
-आदित्य ठाकरे ने कहा, असम में बाढ़ के बीच यह सब हो रहा है।
-दोपहर 3 बजे शिवसेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस।
-असम के गुवाहाटी में शिंदे गुट की बैठक हुई। आगे की रणनीति पर हुई चर्चा।
-केंद्र सरकार ने बागी विधायकों को दी Y+ सुरक्षा, घरों के बाहर CRPF तैनात।
-महाराष्ट्र के राज्यपाल को अस्पताल से मिली छुट्टी।
-ठाणे में शिंदे समर्थकों ने पोती उद्धव ठाकरे के पोस्टरों पर कालिख।
-संजय राउत बोले, गुवाहाटी में भाजपा बागियों की स्पॉन्सर। हिम्मत है तो इस्तीफा क्यों नहीं देते? बागियों के लिए दरवाजे खुले।
-संजय राउत की चेतावनी- शिवसेना और बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल ना करो। अपने बाप के नाम का इस्तेमाल करो।
-आज महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को आज मिल सकती है अस्पताल से छुट्टी। वह 22 जून को कोरोना से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे।
-कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट और शिवसेना नेता अनिल देसाई एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पहुंचे।
-दोपहर 12 बजे एकनाथ शिंदे गुट की अहम बैठक, आगे की रणनीति पर होगी चर्चा।
-शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का ट्वीट, कब तक छुपोगे गुवाहाटी में आना ही पड़ेगा चौपाटी में
-सामना में शिवसेना ने कहा, 40 विधायकों की बगावत भूकंप नहीं।
-विधायकों की बगावत के लिए भाजपा को बताया जिम्मेदार।
-शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के करीबी माने जाने वाले नरेश म्हास्के ने महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के घटक दल राकांपा के रवैये के विरोध में शिवसेना की ठाणे जिला इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। -शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि वह पार्टी को महा विकास आघाड़ी (MVA) के चंगुल से बाहर निकालने के लिए संघर्ष रहे हैं।