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अब 'मेक इन इंडिया' पर सरकार का जोर, इन 21 क्षेत्रों पर होगा काम...

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नई दिल्ली , रविवार, 11 मार्च 2018 (10:38 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने तथा रोजगार सृजन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' की एक कार्ययोजना बनाई है जिसमें नीतिगत पहल, वित्तीय प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचा, सुगम कारोबार, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास तथा कौशल विकास जैसे 21 प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है।
 
कार्ययोजना के अनुसार सरकार ने इन क्षेत्रों के लिए पूंजी उपलब्ध कराने के लिए प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति और प्रक्रिया को सरल बनाया है और इसका उदारीकरण किया है। रक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, दूरसंचार, कृषि, फार्मा, नागरिक उड्डयन, अंतरिक्ष, निजी  सुरक्षा एजेंसियों, रेलवे, बीमा और पेंशन तथा चिकित्सा उपकरणों जैसे प्रमुख क्षेत्रों को प्रत्‍यक्ष वि‍देशी निवेश के लिए खोल दिया गया है।
 
हाल में ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चैंपियन क्षेत्रों के संवर्द्धन और उनकी सामर्थ्‍य को समझने के उद्देश्‍य से 12 निर्धारित चैंपियन सेवा क्षेत्रों पर विशेष रूप से ध्‍यान देने के लिए वाणिज्‍य  मंत्रालय के प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। इनमें सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं (आईटी और आईटीईएस), पर्यटन और आतिथ्‍य सेवाएं, चिकित्‍सा मूल्‍यांकन  भ्रमण, परिवहन और लॉजिस्टिक सेवाएं, लेखा और वित्‍त सेवाएं, दृश्‍य-श्रव्‍य सेवाएं, कानूनी  सेवाएं, संचार सेवाएं, निर्माण और उससे संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएं, पर्यावरण सेवाएं, वित्‍तीय सेवाएं और शिक्षा सेवाएं शामिल हैं।
 
सरकार ने इन क्षेत्रों से संबद्ध मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिया है कि निर्धारित चैंपियन सेवा क्षेत्रों के लिए कार्ययोजनाओं को अंतिम रूप देने और उनके कार्यान्‍वयन के  लिए उपलब्‍ध क्षेत्रीय मसौदा योजनाओं का इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए। चैंपियन क्षेत्रों की क्षेत्रीय कार्ययोजनाओं को सहायता देने के लिए 5,000 करोड़ रुपए का एक कोष बनाने का भी प्रस्‍ताव है।
 
सूत्रों के अनुसार सरकार का मानना है कि योजनाओं के कार्यान्‍वयन की निगरानी से सेवा क्षेत्रों में प्रतिस्‍पर्धा बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में इजाफा होगा। लोगों को अधिक नौकरियां मिलेंगी और वैश्विक बाजारों के लिए निर्यात बढ़ेगा। भारतीय सेवा क्षेत्र की हिस्‍सेदारी वैश्विक सेवाओं के निर्यात में 2015 में 3.3 प्रतिशत थी जिसे वर्ष 2022 के लिए बढ़ाकर 4.2 प्रतिशत का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।
 
सचिवों के समूह ने प्रधानमंत्री को भेजी गई सिफारिशों में 10 चैंपियन क्षेत्र निर्धारित किए। इनमें 7 निर्माण संबंधी क्षेत्र और 3 सेवा क्षेत्र हैं। चैंपियन क्षेत्रों के संवर्द्धन और उनकी  सामर्थ्‍य को हासिल करने के लिए यह फैसला किया गया कि 'मेक इन इंडिया' का प्रमुख विभाग- औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) निर्माण में चैंपियन क्षेत्रों की योजनाओ में प्रमुख भूमिका निभाएगा। (वार्ता)


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