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दो बार फेल हुआ उसे PM कैसे बना दिया? राजीव गांधी पर मणिशंकर अय्यर के बयान से मचा बवाल

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 6 मार्च 2025 (13:59 IST)
Mani Shankar Aiyars comment on Rajiv Gandhi: हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर एक ऐसा बयान दिया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अय्यर ने कहा कि जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने, तो मैंने सोचा कि एक व्यक्ति जो एयरलाइन पायलट था और दो बार फेल हुआ, वह प्रधानमंत्री कैसे बन सकता है? मैंने उनके साथ कैम्ब्रिज में पढ़ाई की, जहां वे फेल हो गए थे। यह बयान न केवल कांग्रेस के भीतर बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। 
 
बयान की शुरुआत और तीखी प्रतिक्रिया : मणिशंकर अय्यर का यह बयान राजीव गांधी की शिक्षा और योग्यता पर सवाल उठाने वाला था। अय्यर, जो कई दशकों तक कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे, ने यह बात एक साक्षात्कार के दौरान कही। उनके इस बयान ने कांग्रेस पार्टी को असहज स्थिति में डाल दिया। कांग्रेस ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे अय्यर का निजी विचार बताकर पल्ला झाड़ लिया। पार्टी प्रवक्ता पवन बंसल ने कहा कि यह मणिशंकर अय्यर का व्यक्तिगत मत है, कांग्रेस का इससे कोई लेना-देना नहीं है। राजीव गांधी ने देश के लिए बहुत कुछ किया, और उनकी योग्यता पर सवाल उठाना अनुचित है। ALSO READ: मणिशंकर अय्यर बोले, 2012 में प्रणब मुखर्जी को बनना था पीएम, मनमोहन को बनाना था राष्‍ट्रपति
 
अय्यर का तर्क और ऐतिहासिक संदर्भ : हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अय्यर ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना उनके लिए हैरानी की बात थी, क्योंकि वे न तो राजनीति में अनुभवी थे और न ही उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि इसे सही ठहराती थी। अय्यर का दावा है कि उन्होंने राजीव गांधी के साथ कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, जहां राजीव अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सके। हालांकि, इतिहासकारों और राजीव गांधी के समर्थकों का कहना है कि उनकी शिक्षा को उनकी नेतृत्व क्षमता से नहीं आंका जाना चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक राजीव गांधी ने 1960 के दशक में कैम्ब्रिज में ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया था, लेकिन मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी नहीं की और बाद में भारत लौट आए। इसके बाद उन्होंने पायलट की ट्रेनिंग ली और इंडियन एयरलाइंस में काम किया।
 
कांग्रेस असहज, विपक्ष का हमला : अय्यर के इस बयान ने कांग्रेस के भीतर एक नई बहस छेड़ दी। कई कांग्रेस नेताओं ने इसे अनावश्यक और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला बताया। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ऐसे समय में जब हम 2024 के चुनावों के बाद संगठन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, अय्यर का यह बयान हमें बैकफुट पर ला सकता है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों, खासकर भाजपा (BJP) ने इस मौके का फायदा उठाया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट किया कि कांग्रेस के अपने नेता ही उनकी सच्चाई बता रहे हैं। यह वही पार्टी है जो वंशवाद को बढ़ावा देती है, योग्यता को नहीं। 
 
सोशल मीडिया पर हंगामा : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी इस बयान ने तूफान मचा दिया। एक यूजर ने लिखा कि कई दशक तक कांग्रेस की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के बाद मणिशंकर अय्यर ने यह खुलासा किया। वहीं, एक और यूजर ने ट्वीट किया कि मणिशंकर अय्यर ने राजीव गांधी की असलियत बताई। इन पोस्ट्स से साफ है कि लोग इस बयान को लेकर दो खेमों में बंट गए हैं- एक पक्ष अय्यर की बात को साहसिक मान रहा है, तो दूसरा इसे कांग्रेस के भीतर की कलह का सबूत बता रहा है।
 
अय्यर के बयानों का इतिहास : यह पहली बार नहीं है जब मणिशंकर अय्यर अपने बयानों से विवाद में फंसे हों। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को "नीच" कहकर विवाद खड़ा किया था, जिसके बाद उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, बाद में उनकी वापसी हुई। अय्यर की यह शैली हमेशा से चर्चा में रही है, लेकिन इस बार उनका निशाना अपनी ही पार्टी का एक सम्मानित चेहरा रहा, जिसने मामला और गंभीर बना दिया।
 
राजीव गांधी की विरासत पर सवाल : राजीव गांधी को भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और संचार क्रांति का जनक माना जाता है। द हिंदू के एक लेख में लिखा गया कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव ने देश की कमान संभाली और कई सुधार किए। लेकिन उनकी छवि बोफोर्स घोटाले से भी प्रभावित हुई थी। अय्यर का बयान इस बहस को फिर से हवा दे रहा है कि क्या राजीव गांधी का नेतृत्व उनकी योग्यता से ज्यादा परिस्थितियों का नतीजा था।
 
एक बयान, कई सवाल : मणिशंकर अय्यर का यह बयान न केवल राजीव गांधी की योग्यता पर सवाल उठाता है, बल्कि कांग्रेस की आंतरिक एकता और उसकी रणनीति पर भी बहस छेड़ता है। क्या अय्यर का यह बयान उनकी व्यक्तिगत कुंठा का परिणाम है, या वे सचमुच कुछ ऐसा कहना चाहते थे जो दशकों से दबा हुआ था? यह सवाल अभी अनुत्तरित है। लेकिन इतना तय है कि इस बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है, और आने वाले दिनों में यह चर्चा का विषय बना रहेगा।

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