Manipur Violence: मणिपुर हिंसा पर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

Webdunia
सोमवार, 7 अगस्त 2023 (09:14 IST)
Manipur Violence: मणिपुर में जारी जातीय हिंसा से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज सोमवार को फिर से सुनवाई शुरू करेगा। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने जांच की धीमा करार देते हुए राज्य पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी। सीजेआई ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (Manipur DGP) को सोमवार की सुनवाई के दौरान जवाब के साथ पेश होने का आदेश दिया था।

बता दें कि 3 मई को आदिवासी समाज की एक रैली के बाद मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद 4 मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आया था। जिसके बाद देशभर में हंगामा मचा था। इसके बाद भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हैं। 50 हजार से ज्यादा लोगों को घरों से निकलकर आश्रय स्थलों में शरण लेनी पड़ी है।

इसके पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जातीय हिंसा के दौरान हुई घटनाओं पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा था कि राज्य में दो महीने तक पूरी संवैधानिक मशीनरी टूट गई थी। सीजेआई ने दो कुकी-जोमी महिलाओं के साथ बलात्कार और उन्हें निर्वस्त्र करके घुमाए जाने के मामले में दो महीने तक एफआईआर न लिखे जाने पर भी सवाल उठाया था।

प्रधान न्यायाधीश ने पूछा था कि घटना के 18 दिन बाद जीरो एफआईआर लिखी गई. फिर 1 महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई। आखिर इतना समय क्यों लगा. क्या ये इस तरह का इकलौता मामला था या ऐसे और भी मामले हैं. 6500 एफआईआर दर्ज हुई हैं, उसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में कितनी शिकायतें हैं। सीजेआई ने कहा, हमें 6500 एफआईआर को अलग-अलग परखने की जरूरत है। कितनी जीरो एफआईआर हैं, कितने गिरफ्तार हुए हैं और कितने न्यायिक हिरासत में हैं?

शीर्ष अदालत ने पुलिस महानिदेशक से घटना के रिकॉर्ड, एफआईआर, गिरफ्तारी और पीड़ितो के बयानों के रिकॉर्ड पेश करने की भी मांग की है। कोर्ट ने कहा था, हम इस पहलू पर भी विचार करेंगे कि कौन-कौन से मुकदमे किसे जांच के लिए सौंपे जाएं। सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा था कि 6500 एफआईआर की जांच का जिम्मा सीबीआई के ऊपर देना असंभव है, लेकिन राज्य पुलिस को भी जांच नहीं दी जा सकती। हमें सोचना होगा कि हम क्या करें। उन्होंने सरकार से भी इस मसले का हल सोचने को कहा था। इसके साथ ही सीजेआई ने हाई कोर्ट के पूर्व जजों की कमेटी बनाने की बात भी कही थी. सीजेआई ने कहा था कि कोर्ट इस कमेटी का दायरा तय करेगी।
Edited by navin rangiyal

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