मनीष तिवारी ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्‍किल, भाजपा ने साधा निशाना

Webdunia
मंगलवार, 23 नवंबर 2021 (14:54 IST)
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की एक पुस्तक के मीडिया में छपे कुछ उद्धरणों का हवाला देते हुए भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संप्रग सरकार को 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद जिस प्रकार की मजबूत जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी, वैसी नहीं की और राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा।
 
पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि इससे साबित होता है कि कांग्रेस की सरकार निकम्मी थी।
 
भाटिया ने कहा कि मनीष तिवारी की पुस्तक में जो तथ्य सामने आए हैं, उसे कांग्रेस की विफलता का कबूलनामा कहना ही उपयुक्त होगा। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का सारांश है कि संयम शक्ति की निशानी नहीं है। मुंबई हमले के समय संयम कमजोरी माना जा सकता है। भारत को उस समय कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी, जब कांग्रेस की विफलताओं का यह कबूलनामा पढ़ा तो हर भारतीय की तरह हमें भी बड़ी पीड़ा हुई।
 
उन्होंने कहा कि इस तथ्य से स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस की जो सरकार थी, वह निठल्ली और निकम्मी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर भारत की अखंडता की भी उसे चिंता नहीं थी।
 
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस शासन में मंत्री रहे मनीष तिवारी ने स्वीकारा है कि उनकी सरकार ने राष्ट्र की सुरक्षा को दांव पर लगा दिया था।
 
भाटिया ने इस प्रकरण में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से चुप्पी तोड़ने की मांग करते हुए सवाल उठाया कि उस समय भारतीय सेना को अनुमति और खुली छूट क्यों नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि हमारी सेना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अनुमति मांग रही थी कि हम पाकिस्तान को सबक सिखाएंगे। लेकिन उन्हें अनुमति क्यों नहीं दी गई?
 
तिवारी ने अपनी पुस्तक '10 फ्लैश प्वाइंट्स, 20 इयर्स-नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन दैट इम्पैक्टेड इंडिया' में भारत के 9/11 के बाद के दिनों में त्वरित कार्रवाई नहीं करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना की है।
 
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री मार्ग से मुंबई के विभिन्न इलाकों में घुस गए थे और उन्होंने अलग-अलग स्थानों पर गोलीबारी शुरू कर दी थी। इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे।

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