किसान मार्च : किसानों एवं विपक्षी नेताओं ने सरकार को किसानों की अनदेखी के विरुद्ध चेताया

Webdunia
शुक्रवार, 30 नवंबर 2018 (22:12 IST)
नई दिल्ली। किसानों को कर्ज से मुक्ति और फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली में 2 दिन से आंदोलनरत किसान संगठनों ने किसानों से 5 साल पहले किए गए वादे अभी तक अधूरे रहने का हवाला देते हुए किसान विरोधी दलों को अगले साल आम चुनाव में सबक सिखाने की बात कही है।
 
 
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देशभर के 207 किसान संगठनों द्वारा शुक्रवार को आयोजित संसद मार्च में जुटे सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने कर्जमुक्ति और फसल का उचित मूल्य दिलाने की मांग का समर्थन किया।
 
समिति के नेता और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा कि अब स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार अब तक की सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार साबित हुई है। किसान विरोधी सरकार को हराना है और जो किसान हितैषी होने का दावा कर रहे हैं, उनको डराना है जिससे कि वे बाद में वादे से मुकर न जाएं।
 
संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित विभिन्न गैर राजग दलों के नेता शामिल हुए। इस दौरान किसानों की कर्ज से मुक्ति और फसल का पूरा दाम दिलाने सहित 21 सूत्री मांगपत्र (किसान चार्टर) पेश किया गया।
 
यादव ने इसे 'किसान घोषणा पत्र' बताते हुए कहा कि पहली बार किसान एक ही झंडे के नीचे एकजुट हुए, पहली बार किसानों ने सिर्फ विरोध नहीं किया बल्कि विकल्प (प्रस्तावित कानून का मसौदा) भी दिया है और पहली बार किसानों के साथ वकील, शिक्षाविद, डॉक्टर और पेशेवर सहित संपूर्ण शहरी समाज एकजुट हुआ है।
 
इससे पहले लगभग 35 हजार किसानों ने सुबह 10.30 बजे रामलीला मैदान से संसद भवन तक 'किसान मुक्ति यात्रा' के साथ पैदल मार्च किया। इस कारण से मध्य दिल्ली स्थित रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक कनॉट प्लेस सहित अधिकतर इलाकों में यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। 'किसान मुक्ति यात्रा' के लिए देशभर से आए हजारों किसान गुरुवार से ही रामलीला मैदान में एकजुट थे।
 
पुलिस ने सुरक्षा कारणों से किसान यात्रा को संसद भवन तक पहुंचने से पहले ही संसद मार्ग थाने से आगे नहीं बढ़ने दिया। इस कारण से किसानों ने संसद मार्ग पर ही किसान सभा आयोजित की। किसानों को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि सरकार शुरुआत से ही कॉर्पोरेट समर्थक नीतियां लागू कर रही हैं और उसने किसानों के लिए एक भी बड़ा कदम नहीं उठाया।
 
पाटकर ने कहा कि भाजपा सरकार का मकसद किसानों, आदिवासियों की जमीन उद्योगपतियों के हाथों में देने का है। अखिल भारतीय किसान महासभा (एआईकेएम) के महासचिव राजाराम सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने नोटबंदी के जरिए कालेधन को सफेद धन में बदलने की कोशिश की तथा नोटबंदी का असर देशभर के किसानों पर पड़ा है।
 
वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने इस आंदोलन को निर्णायक बताते हुए कहा कि इस बार मजदूर और किसान अकेला नहीं है। डॉक्टर, वकील, छात्र और पेशेवर पहली बार अपनी ड्यूटी छोड़कर किसानों के साथ आए हैं और इस बार आंदोलनकारी दोनों प्रस्तावित विधेयकों को पारित करने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

महाराष्ट्र में कौनसी पार्टी असली और कौनसी नकली, भ्रमित हुआ मतदाता

Prajwal Revanna : यौन उत्पीड़न मामले में JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर एक्शन, पार्टी से कर दिए गए सस्पेंड

क्या इस्लाम न मानने वालों पर शरिया कानून लागू होगा, महिला की याचिका पर केंद्र व केरल सरकार को SC का नोटिस

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और MLA विक्रांत भूरिया पर पास्को एक्ट में FIR दर्ज

टूड्रो के सामने लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे, भारत ने राजदूत को किया तलब

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

पुलिस ने स्कूलों को धमकी को बताया फर्जी, कहा जांच में कुछ नहीं मिला

दिल्ली-NCR के कितने स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी, अब तक क्या एक्शन हुआ?

अगला लेख