मंगल की कक्षा में मंगलयान के प्रवेश के साक्षी बनेंगे मोदी

Webdunia
मंगलवार, 23 सितम्बर 2014 (08:11 IST)
बेंगलुरु। भारत के मंगल अभियान के गंतव्य तक पहुंचने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए यान के सुशुप्त मुख्य इंजन का परीक्षण सफल होने के बाद इसरो कल इसे मंगल की कक्षा में स्थापित करने के लिए अंतिम जोर लगाने को आश्वस्त दिख रहा है और अगर ऐसा होता है तो भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास रचेगा।
मंगल अभियान के अंतिम चरण से जुड़ा कार्य कल सुबह सात बजकर 17 मिनट 32 सेकंड में एलएएम के साथ आठ छोटे तरल इंजन को करीब 24 मिनट के लिए प्रणोदित किया जाएगा।
 
इस जटिल पहल के तहत अंतरिक्ष यान के वेग को इस हद तक कम किया जाएगा कि वह मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित हो सके। अगर ऐसा हो जाता है तो भारत प्रथम प्रयास में ऐसा करने में सफल होने वाला पहला देश बन जाएगा।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मार्स आर्बिटर के मंगल की कक्षा में स्थापित करने से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य के कल साक्षी बनेंगे और वह इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र में मौजूद रहेंगे। 
 
मार्स आर्बिटर मिशन (मंगलयान) पर 300 दिनों तक सुशुप्ता अवस्था में रहने के बाद मंगल यान का मुख्य इंजन कल प्रणोदित हुआ। 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) इंजन को चार सेकंड के लिए चालू किया गया। इससे इस अंतरिक्ष यान के मंगल की कक्षा में सफल प्रवेश के बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विश्वास बढ़ा है। 
 
मार्स आर्बिटर अंतरिक्ष यान 1 दिसंबर 2013 को आखिरी बार प्रणोदित किया गया था। कल मुख्य इंजन को प्रणोदित करने के साथ परिपथ में सुधार का कार्य भी किया गया। 66.6 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पर निकला यह अंतरिक्ष यान पिछले 1 दिसंबर को पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र के दायरे से बाहर निकला था।
 
24 सितंबर को अपने गंतव्य पर पहुंचने के अंतिम चरण में मंगलयान की रफ्तार को 22.1 किलोमीटर प्रति सेकंड से कम करके 4.4 किलोमीटर प्रति सेकंड किया जाएगा ताकि वह मंगल की कक्षा में बना रह सके। उस दिन इंजन को 24 मिनट के लिए चालू करके उसका वेग कम किया जाएगा ताकि उसे मंगल की कक्षा में प्रवेश दिलाया जा सके।
 
इसरो ने पहले ही निर्देश अपलोड कर दिया है ताकि अंतरिक्ष यान को स्वत: कक्षा में प्रवेश में मदद मिल सके। मार्स आर्बिटर मिशन के सफल होने पर भारत दुनिया का वह पहला देश हो जाएगा जिसने प्रथम प्रयास में ही मंगल की कक्षा में प्रवेश किया हो। वह मंगल की कक्षा में जाने वाला एशिया का भी पहला देश होगा तथा मिशन के सफल होने पर इसरो लाल ग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन जाएगा। 
 
इससे पहले यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी एजेंसी मंगल की कक्षा या ग्रह पर उतरने में सफल रहे लेकिन इनके कई प्रयास असफल भी रहे। मंगल अभियान की विफलता की दर काफी अधिक है। अब तक 51 अभियानों में से केवल 21 सफल रहे हैं। 2011 में चीन का ऐसा ही एक अभियान विफल रहा था।
 
कल मुख्य इंजन को चार सेकंड के लिए प्रणोदित करने में सफल रहने के बाद इसरो के प्रमुख के राधाकृष्णन ने कहा था, अंतरिक्ष यान ठीक है। इसने मंगल के लिए 98 प्रतिशत यात्रा पूरी कर ली है और अब हम उस महत्वपूर्ण अभियान के लिए तैयार हैं जो 24 सितंबर की सुबह होगा। उन्होंने मार्स आर्बिटर इंजन के चालू होने पर प्रसन्नता व्यक्त की।
 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मावेन अंतरिक्ष यान लाल ग्रह का आज लगातार दूसरे दिन चक्कर लगा रहा है। नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी ने इसरो को मंगल की कक्षा में मार्स आर्बिटर को स्थापित करने के अभियान के लिए शुभकामना दी है। (भाषा) 
 
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