एक और हादसा, हादसे में कुछ और मजदूरों की मौत, मौत पर फिर वहीं सन्नाटा। हर दिन की शुरुआत के साथ मजदूरों की मौत की खबर अब विचलित कर रही है। पहले औरंगाबाद, फिर गुना, मुजफ्फरनगर और अब औरैया। दस दिन के अंदर तीन बड़े हादसों में करीब 60 के करीब प्रवासी मजदूरों की सड़क हादसों में मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है।
घरों के लिए निकले मजदूर मौत के मुंह में समाते चले जा रहे है। देशव्यापी तालाबंदी में मजदूरों के घर पहुंचने का सफर अब उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बनता जा रहा है। घर पहुंचने की छटपटाहट उनकी जान लेती जा रही है। फिर भी सड़कों पर मजदूरों का पलायन जारी है।
अल सुबह उत्तर प्रदेश औरैया में भीषण सड़क हदासे में 24 मजदूरों की मौत हो गई और अब भी कई जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे है। दो ट्रकों की आमने सामने की भिड़ंत में 24 मजदूरों ने मौके पर दम तोड़ दिया वहीं 20 से अधिक अस्पताल में भर्ती है। मरने वाले लोग बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मजदूर है।
इससे पहले मध्यप्रदेश के गुना और उत्तरप्रदेश में सड़क हादसे में 16 मजदूरों की मौत, उससे पहले औरंगाबाद में ट्रेन की चपेट में आने से 16 मजदूरों की मौत। लॉकडाउन के दौरान अब तक अलग सड़क हादसों में 150 से अधिक मजदूरों की मौत हो चुकी है।
दस दिन के अंदर तीन बड़े सड़क हादसों 60 के करीब मजदूरों की मौत की खबरों ने हर किसी को बैचेन कर दिया है। औरैया हादसे के कुछ घंटे पहले ही उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मजूदरों से अपील की थी कि वह जहां है वहीं रहे सरकार उनको सुरक्षित घर लाने का पूरा इंतजाम कर रही है।
उन्होंने ट्रक, पिकअप और बाइक से पलायन कर रहे मजदूरों के खिलाफ पुलिस प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। सड़क पर मजदूरों के लगातार पलायन और हादसों की लगातार खबरों के बीच गृहमंत्रालय बार-बार राज्यों को मजदूरों को सुरक्षित उनके घर पहुंचने की एडवाइजरी जारी कर रहा है।
घर पहुंचने की चाहत में निकले मजदूर अब घर की ढेहरी पर पहुंचने से पहले रास्ते में दम तोड़ रहे है। ऐसा नहीं है कि मजदूरों को रास्ते के सफर के जोखिम का भान नहीं है। वह सब कुछ जानता है। सब कुछ समझता है। लेकिन सब जानते हुए भी वह मजबूर है। शायद यहीं मजबूरी ही मजदूरों की जिंदगी की पूरी कहानी है ।