नई दिल्ली। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के बड़े कैंप पर कहर बरपाने वाले वायुसेना के मिराज विमानों ने 1999 की कारगिल लड़ाई में भी पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे और हजारों फुट ऊंची चोटियों पर कब्जा जमाए आतंकवादियों तथा पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ा था।
पुलवामा हमले का बदला लेने के मिशन पर निकले 12 मिराज विमानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के एक बड़े आतंकी शिविर को लेजर निर्देशित बमों से नेस्तनाबूद कर दिया, जिसमें लगभग 350 आतंकी मारे गए।
मिराज वायुसेना के लड़ाकू बेड़े का प्रमुख विमान है और भारत ने 1985 में पाकिस्तान के एफ-16 विमानों को टक्कर देने के लिए फ्रांस से मिराज-2000 विमान खरीदे थे। मिराज भी फ्रांस की उसी डसाल्ट एविएशन ने बनाए थे जो अभी भारत के लिए राफेल विमान बना रही है। इस तरह इसे छोटा राफेल भी कहा जा सकता है।
एक इंजन और एक सीट वाले इस विमान को ‘वज्र’ के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 9 जगहों पर हथियारों को लगाया जा सकता है। इस विमान की खासियत यह है कि यह लेजर निर्देशित और पारंपरिक दोनों तरह के बमों से मार करने में सक्षम है। यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ध्वनि की गति से दो गुना से भी अधिक गति से चलने में सक्षम है।
मिराज की एक ओर खासियत यह है कि यह बेहद हल्का है और इसके पंख राफेल की तरह डेल्टा आकार के हैं। देश में ही बनाए गए हल्के लड़ाकू विमान तेजस के पंखों का आकार भी ऐसा ही है जिससे यह कम गति में काफी ऊपर उठ सकता है और तेज गति में भी स्थिर रह सकता है। इसकी लंबाई 14.36 मीटर और स्पैन 9.13 मीटर है।
मिराज विमानों ने 1999 में कारगिल की चोटियों पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी आतंकवादियों और सैनिकों पर लेजर निर्देशित बमों की बारिश कर उन्हें खदेड़ दिया था। मिराज विमानों ने उस समय 514 उडान भरी थी और 55 हजार किलोग्राम से अधिक वजन के बम गिराए थे। भारत ने 2011 में मिराज विमानों को उन्नत बनाने तथा अधिक शक्तिशाली हथियारों से लैस करने के लिए फ्रांसीसी कंपनी डसाल्ट एविएशन के साथ करार किया था।