मुंबई। शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट ने मुख्यमंत्री एवं पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दावा किया कि शिवसेना विधायक ढाई साल से अपमान का सामना कर रहे थे। इसके चलते मंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी नेतृत्व के खिलाफ जाने का कदम उठाया।
औरंगाबाद (पश्चिम) से विधायक शिरसाट ने 22 जून को लिखे पत्र में दावा किया कि शिवसेना के सत्ता में होने और उसका अपना मुख्यमंत्री होने के बावजूद, ठाकरे के आसपास की मंडली ने उन्हें कभी भी 'वर्षा' तक पहुंचने नहीं दिया। वर्षा मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास है। उन्होंने कहा कि 'मंत्रालय' जाने का तो सवाल ही नहीं था, क्योंकि वहां मुख्यमंत्री कभी नहीं आए।
पत्र को शिंदे ने अपने ट्विटर पेज पर पोस्ट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि ये शिवसेना के विधायकों की भावनाएं हैं। पत्र में कहा गया है कि एकनाथ शिंदे ने पार्टी के विधायकों की शिकायतें, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों और निधि से जुड़े मामलों के बारे में उनकी बात सुनी, साथ ही सहयोगी कांग्रेस और राकांपा के साथ उनकी समस्याओं को भी सुना।
उन्होंने दावा किया कि शिवसेना के विधायकों की मुख्यमंत्री तक पहुंच नहीं थी, जबकि पार्टी के "असली विरोधी" होने के बावजूद कांग्रेस और राकांपा को पूरी तवज्जो दी जा रही थी।
शिरसाट ने यह भी कहा कि पार्टी के विधायकों को महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ अयोध्या जाने की अनुमति नहीं थी। आदित्य ठाकरे हाल में उत्तर प्रदेश के अयोध्या गए थे। उन्होंने सवाल किया कि राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के वोट नहीं बंटे, फिर विधान परिषद चुनाव में हम पर इतना अविश्वास क्यों?