एक मंच पर दिखे प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश...

Webdunia
शनिवार, 12 मार्च 2016 (18:04 IST)
पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एक नया विचार प्रस्तुत किया कि अदालतें वार्षिक बुलेटिन पेश करें, जिसमें देश में लंबित मामलों के बारे में संवेदनशीलता पैदा करने के लिए वह सबसे पुराना मामला बताएं, जिस पर वे सुनवाई कर रहे हों।
पटना उच्च न्यायालय की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने बार, बेंच और अदालतों को उनके कामकाज में डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर टेक-सैवी बनाने पर भी सुझाव मांगा।
 
उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा, मुझे एक विचार पर सुझाव देना है जिसके बारे में मैंने अभी सोचा। यह सुझाव है कि हमारी अदालतें हर साल एक बुलेटिन लाएं जिसमें वो अपने समक्ष लंबित सबसे पुराने मामले के बारे में बताएं। कुछ मामले 40 साल या 50 साल पुराने हो सकते हैं और वो अदालतों में लंबित मामलों के बारे में लोगों में संवेदनशीलता पैदा कर सकते हैं। 
 
उन्होंने कहा, यह अन्य लोगों को लंबित मामलों के बारे में कुछ करने को प्रेरित करेगा। ऐसा करना गलत नहीं है। यह लंबित मामलों की समस्या से बाहर निकलने के लिए वातावरण तैयार करने में मदद कर सकता है। सभी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के आगमन के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले कानून के क्षेत्र में शोध करने में काफी समय खर्च करना पड़ता था, जबकि अब बेहद अल्प अवधि में कोई गूगल कर सकता है।
 
उन्होंने कहा, अब हमारे पास कुछ ऐसा है जो पहले नहीं था-प्रौद्योगिकी की ताकत। बार, बेंच और अदालतों के कामकाज में डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके हम कितना टेक्नो-सैवी बना सकते हैं और प्रौद्योगिकी का सक्रियता से इस्तेमाल करके फैसलों की गुणवत्ता और दलीलों में सुधार के काम में मदद कर सकते हैं। 
 
मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंच साझा किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान एक-दूसरे पर खूब निशाना साधा था। मोदी ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने विगत 100 वर्षों में नई ऊंचाइयों को छुआ है।
 
उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि सर्वश्रेष्ठ पहलुओं को आने वाले वर्षों में आगे बढ़ाया जाएगा। यद्यपि पिछली शताब्दी में इस उच्च न्यायालय की अच्छी बातों को याद करने का यह समय है लेकिन यह आने वाली सदी के लिए ठोस आधारशिला रखने का भी यह समय है। 
 
उन्होंने कहा, यह नए संकल्पों के लिए भी समय है और नए मानदंडों के बारे में सोचने का भी समय है और मुझे उम्मीद है कि बार और बेंच नए मानदंड स्थापित करने की दिशा में काम करेंगे और इस संस्थान को आगे ले जाएंगे। जिनके पास सदियों की विरासत है वो निश्चित तौर पर देश को आगे बढ़ाने के लिए काफी कुछ दे सकते हैं। इस अवसर पर संस्थान को शुभकामना देते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि देश आने वाले समय में उच्च न्यायालय से काफी कुछ पाएगा।
 
मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में कानून के जानकारों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भी याद किया। उन्होंने अपनी लंदन यात्रा के दौरान घटी एक घटना का उल्लेख किया, जब एक जाने-माने वकील की 1930 में छीनी गई सदस्यता को लौटाने का तोहफा उन्हें दिया गया। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण ब्रिटेन के बार ने उस वकील की सदस्यता छीन ली थी। (भाषा)
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